What is Navratri Festival maa durga special 9 days.
Navratri festival Ma Durga जानिए गुप्त नवरात्रि क्या है। हैरान हो होने वाली बाते।
ध्यान रखें जिन 10 महाविद्याओं की साधना शक्ति के बल से ब्रह्मा जी सृष्टि रचने में समर्थ होते हैं। विष्णु भगवान शिव की कृपा कटाक्ष से विश्व का पालन करने में समर्थ होते हैं।
रूद्र जिसके बल से विश्व का संघार करने में समर्थ होते हैं। उसी सर्वेश्वरी जगन माता महामाया के 10 स्वरूपों का संक्षिप्त वर्णन आगे में करूंगी ध्यान से सुने और साधना कैसे करनी है।
वो भी बताऊंगी।
वैसे तो शास्त्रों में हजारों प्रकार के साथ नहीं बताई गई है लेकिन 10 महत्वपूर्ण विद्याओं की साधना को जीवन की पूर्णता के लिए महत्वपूर्ण बताया गया है।
जो भी मनुष्य 10 महाविद्याओं की साधना को पूर्णता के साथ संपन्न कर लेता है। तो वह जीवन में कभी किसी चीज के लिए उसे पीछे मुड़ कर देखना नहीं पड़ता है।
जो लोग जानना चाहते हैं। कौन सी देवी की पूजा कैसे और कब करनी चाहिए वह ध्यान से आगे सभी 10 देवियों की उपासना विधि बताऊंगी उनके मंत्र बताऊंगी और 9 दिन किस प्रकार जब और पूजन करना है।
किन चीजों से करना है। वैसे ही होना चाहिए नहीं तो आपको साधना नहीं करनी चाहिए। आप फिर जनरल माता पूजन करें और ध्यान रखें ध्यान से सुने महाशक्ति महाशिव इन सभी का ध्यान करें और बोले शक्ति माता की जय।
काली मां 10 महाविद्याओं में काली प्रथम आती है महा भागवत के अनुसार महाकाली ही मुख्य है। और इन्हीं के उग्र और सौम्य दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाले 10 महाविद्या कलयुग में कल्पवृक्ष के समान शीघ्र फलदाई साधक के समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करने में सहायक है।
यह साधना और शक्ति साधना के दो पीठों में काली की उपासना श्यामा पीठ पर करने योग्य है।
ऐसे तो आप किसी भी रूप में महामाया की उपासना का फल प्राप्त कर सकते हैं।
परंतु सिद्धि के लिए उनकी उपासना वीर भाव से की जाती है। मां काली गुप्त नवरात्र के पहले दिन मां काली की पूजा के दौरान आपको उत्तर दिशा की ओर मुख करके काले हकीक की माला से,
पूजा करनी चाहिए जैसे आप घटस्थापना करेंगे नॉर्मल कर लीजिए इसके बाद आप काली मां की फोटो रख कर के और या फिर आप काली मां का ध्यान करके इस पूजा को प्रारंभ करा सकते हैं।
दुर्गा मां की फोटो रख सकते हैं और काली मां के साथ-साथ भगवान कृष्ण की पूजा करनी चाहिए ऐसा करने से आपकी किस्मत चमकती है। शनि के प्रकोप से छुटकारा मिलता है।
जानिए नवरात्रि के 9 दिन कोंन के और कैसे हम पूजा करे।।
- 1. नवरात्र में पहले दिन मां काली को अर्पित होते हैं। वही बीच के 3 दिन मां लक्ष्मी को अर्पित होते हैं। और अंत के 3 दिन मां सरस्वती को अर्पित होते हैं। इस प्रकार ध्यान करके आपको पूजा करना चाहिए। मां काली की पूजा में यात्रा का भोग रखकर के मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए मंत्र है।
मां का क्रीम क्रीम क्रीम क्रीम इस मंत्र का जप करें और संपूर्ण मंत्र का जप कर सकते हैं। इस प्रकार से क्रीम क्रीम क्रीम क्रीम क्रीम क्रीम क्रीम क्रीम स्वाहा। मंत्र का जप करना चाहिए।
- 2. दूसरी महाविद्या होती है। मां भगवती काली की न्यूज़ रूपा और सर्वदा मोक्ष देने वाली धारण करने वाली माता की भारत में सबसे पहले महर्षि वशिष्ठ ने तारा की साधना की थी। इसलिए तारा को वशिष्ठ आराधिता भी तारा भी कहा जाता है।
आर्थिक उन्नति अन्य बाधाओं के निवारण के लिए तारा महाविद्या का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। और इस साधना की स्थिति होने पर साधक की आय के नए साधन खुलने लगते हैं। पूर्ण ऐश्वर्या लीची वन मनुष्य व्यतीत करता है। और जीवन में पूर्णता प्राप्त कर लेता है।
इनका बीज मंत्र कौन है। इन्हें नील सरस्वती के नाम से भी हम जानते हैं। और अचानक ही के पति ना शत्रु नाशक शक्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए मातारा की उपासना की जाती है।
लोगों की संतान नहीं है। जो बल बुद्धि प्राप्त करना चाहते हैं। उन्हें भी मातारा की उपासना करनी चाहिए और इस दिन आपको एमएनस्ट और नीले रंग की माला से जप करना चाहिए मां का मंत्र है। ॐ रिमस्टरिंग व्हाट इस प्रकार से साधना सिद्ध होती है।
- 3. तीसरी महाविद्या त्रिपुर सुंदरी जिसे हम कहते हैं छोटी सी माहेश्वरी शक्ति की सबसे मनोहर तीव्र ग्रह वाली सिद्ध देवी है। इनकी चार भुजाएं हैं। तीन नेत्र हैं।
यह शांत मुद्रा में लेते हुए सदाशिव पर स्थित कमल के आसन पर आसीन हैं। जो इनका आश्रय ग्रहण कर लेता है। उनमें और ईश्वर में कोई मतभेद नहीं रह जाता और षोडशी को श्रीविद्या भी माना गया है। इनकी ललिता राज राजेश्वरी मां त्रिपुर सुंदरी बाला पंचदशी आदि अनेक नाम है।
वास्तव में षोडशी साधना को राजराजेश्वरी इसलिए भी कहा गया है क्योंकि अपनी कृपा से साधारण व्यक्ति को राजा बनाने की शक्ति रखती है।
चारों दिशाओं में 14 और ऊपर की ओर मुख होने से इन्हें पंच बकरा कहा जाता है। और इनमें षोडश कलाई पूर्ण रूप से विकसित होती है।
इसलिए यह छोटी सी कहलाती है अच्छे व्यक्ति बनने पर रूप के लिए इस दिन मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा करनी चाहिए बुध ग्रह की पूजा करी जाती है। और रुद्राक्ष की माला से जप करना चाहिए श्रीविद्या भी माना कि और इनकी उपासना श्री यंत्र उपासक को भक्ति और मुक्ति दोनों प्रदान करते हैं।
और षोडशी उपासना में दीक्षा अवश्य लेनी चाहिए जिनको भी आप गुरु मानते हैं। उनकी फोटो रख करके या उनसे ब्लेसिंग्स ले करके आपको आगे बढ़ना चाहिए।
आपके लिए मंत्र है ॐ ऐंग रिंग क्लींग त्रिपुर सुंदरी ए नमः इस मंत्र का आपको शक करना है।
- 4. चौथी महाविद्या की और महाविद्याओं में भुवनेश्वरी महाविद्या को आध्या शक्ति अर्थात मूल प्रकृति कहा गया है। इसलिए भक्तों को अभय और समस्त सिद्धियां प्रदान करना इन का स्वाभाविक गुण है।
10 महाविद्याओं में के पांचवें स्थान पर परिमाण थे भगवती भुवनेश्वरी की उपासना पुत्र प्राप्ति के लिए विशेष रूप से पधारें और अपने हाथ में लिए गए और फल मूल से प्राणियों का पोषण करती है। इसी कारण पति भुनेश्वरी शताक्षी तथा शाकंभरी नाम से जाना गया है।
इनकी पूजा मोक्ष और दांत के लिए की जाती है। और इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करना काफी शुभ रहता है चंद्रमा ग्रह संबंधी परेशानी के लिंग की पूजा करनी चाहिए ऐसा मंत्र है। रिंकू अपने स्वयं नमः ओम रीम श्रीम नमः।
- 5. पांचवी महाविद्या की मां छिन्नमस्ता की और नवरात्र के पांचवे दिन मां छिन्नमस्ता की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा करने से शत्रुओं का रोगों का नाश होता है। परिवर्तनशील जगत का अधिपति कब बंद है और उसकी शक्ति छिन्नमस्ता है। और छिन्नमस्ता का स्वरूप अत्यंत ही गोपनीय है।
इनका सिर कटा हुआ होता है। और उनकी तीन धाराएं प्रवाहित हो रही है। जिसमें से दो धाराएं उनकी सरिया और एक धारा देवी स्वयं पान कर रही है। तीन आंखें होती है। और यह मदन और प्रति पर आसीन हैं इनका स्वरूप ब्रह्मांड में सृजन और मृत्यु के सत्य को दर्शाता है।
ऐसा विधान आता है। कि चतुर्थ संध्याकाल में छिन्नमस्ता की उपासना से साधक को सरस्वती शुद्ध हो जाती है। इस प्रकार की साधना के लिए दृढ़ संकल्प शक्ति की आवश्यकता होती है। जो साधक जीवन में लेते हैं।
साधनों में सफलता प्राप्त करनी है अपने गुरु के मार्गदर्शन से ही संपन्न करते हैं। रुद्राक्ष की माला से जप करना चाहिए अगर किसी का वशीकरण है करना चाहते हैं। तो उस दौरान इस पूजा को करना होता है।
राहु से संबंधित किसी भी परेशानी से कालसर्प की प्रबंधित किसी भी प्रकार की परेशानी से छुटकारा मिलता है। इस दिन मां को पलाश के फूल चढ़ाने चाहिए श्रीम श्रीम क्लिम m10 चलिए फट स्वाहा।
- 6. महाविद्या है। मा त्रिपुर भैरवी मा त्रिपुर भैरवी इस दिन नजर दोष भूत प्रेत संबंधित परेशानी को दूर करने के लिए मां त्रिपुर भैरवी की पूजा का विधान आता है। मूंगे की माला से पूजा की जाती है। और मां के साथ बेलपत्र की पूजा करनी चाहिए और भी शुभ होता है। इस दिन जन्म कुंडली में लग्न में अगर कोई दोष है। तो वह भी सभी कुछ दूर होते हैं। और मां का मंत्र ॐ हीं भैरवी कला हीं स्वाहा।
- 7. सातवी महाविद्या है, मां धूमावती मां धूमावती देवी महाविद्याओं में सातवें स्थान पर विराजमान है। धूमावती महाशक्ति अकेली है। तथा स्वयं नियंत्रक का है। और इनका कोई स्वामी नहीं है।
विधवा कहा गया है। तुम उपासना विपत्ति नाश के लिए रोग नाश के लिए रोग के निवारण के लिए युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए यह ज्यादा की जाती है।
लक्ष्मी की बड़ी बहन या निष्ठा के लाती है। जो साधक अपने जीवन में निश्चित और निर्भीक रहना चाहते हैं। उन्हें धूमावती की साधना करनी चाहिए और इस दिन पूजा करने से इस समय दरिद्रता का नाश होता है।
आपको काले हकीक की माला से जप करना चाहिए। धूम धूम धूमावती देवी स्वाहा यह मां का मंत्र है और आपको के मंत्र का जप करना चाहिए।
- 8. आठवीं महाविद्या मां बगलामुखी साधना को समाप्त करने के लिए राजनीति में विजय प्राप्ति के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण साधना मानी गई है। और यह सुधा समुद्र के मध्य में स्थित मणि मंडप मेरठ में सिंहासन पर विराजमान है। और दोनों की जाती है। इनकी उपासना में हल्दी की माला होती है। पीत वस्त्र का विधान है। इनके हाथ में शत्रु की जगह और दूसरे हाथ में मुद्रा है। मां बगलामुखी की पूजा करने से कोर्ट कचहरी नौकरी संबंधित परेशानियां दूर होती है। और इस दिन पीले कपड़े पहनकर हल्दी माला से आपको चेक करना चाहिए।
आपकी कुंडली में मंगल संबंधी कोई परेशानी है। तो मां बगलामुखी की कृपा से जल्दी ठीक हो जाता है। और मां का मंत्र एम हरीम श्रीम बगलामुखी सर्व दुष्ट का नाम मुखं पदम् स्तंभ है। जो वकील है। शत्रु बुद्धि विनाश शायद लिंग ओम स्वाहा इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
- 9. नववी माता की पूजा महाविद्या की साधना मां मातंगी की साधना के लाती है। मातम कौन है। मातंग मतलब शिव है। और इनके शक्ति कौन है। इनका वर्ण श्याम है। और चंद्रमा को मस्तक पर धारण किए हुए हैं। इन्होंने अपनी चार भुजाओं में पाश अंकुश खेता खड़क धारण किया है। इनके त्रिनेत्र सूर्य सोम और अग्नि है।
और अश्रु को मोहित करने वाले भक्तों को अभीष्ट फल देने वाली दीदी है। गृहस्थ जीवन को सुखमय बनाने के लिए मातंगी मां के निमकी साधना शेष का कहलाती है।
मां मातंगी की पूजा धरती की ओर मां कमला की पूजा आकाश की ओर मुख करके रख करनी चाहिए इस दिन पूजा करने से प्रेम संबंधी परेशानियों का नाश होता है।
अभी संबंधी के लिए मातंगी की पूजा करनी चाहिए और मां का मंत्र है क्रीम क्रीम माता की रिंग क्रीम
- 10 महाविद्या के बात कर लेते हैं। मां कमला कमला हम लक्ष्मी मां को भी कहते हैं। और जिस घर में दरिद्रता ने कब्जा कर लिया हो उस घर जिस घर में सुख शांति ना हो आय का स्रोत ना हो उनके लिए कमला साधना सबसे सर्वश्रेष्ठ बताइए।
यह सोफा की के द्वार खोलती है। और मां कमला पुल लक्ष्मी और षोडशी भी हम कहते हैं। और मां कमला की पूजा आकाश की ओर मुख करके बोलना चाहिए क्रीम व्रीम कमला रीम क्लिम स्वाहा इसलिए अगर आप एक-एक दिन अलग-अलग देवी के मंत्र साधना कर रहे हैं। तो आप नवमी के दिन और अष्टमी के दिन आप कमला की साधना करें और मां मातंगी साधना करें मामा जी की साधना करें 9 दिनों तक चलने वाले इस पर कोई भी एक कूलर आपने साधना की है।
उसका दशांश हवन आपको करना चाहिए या नीचे मंत्र आपने उसका दसवां भाग हवन में डालना चाहिए। रोटी हवन करें थोड़ी सी हलवे के साथ या गुड़ के साथ और कन्या भोजन कराएं यह जरूर करना चाहिए कन्या भोजन इससे सबसे ज्यादा मां प्रसन्न होती है।
दुर्गा सप्तशती के मंत्र से भी किए जाने का विधान आता है आप चाहे तो दुर्गा सप्तशती के मंत्रों से हवन कर सकते हैं यदि।
यह जॉब या 10 महाविद्याओं की पूजा होती है। गुप्त नवरात्र में यह सिद्ध कर दी जाती है। और ध्यान रखना चाहिए आपको मैं दूसरे आने वाले ब्लॉग में क्योंकि यह बहुत लंबा हो गया है।
इसी में आगे आने वाले समय में आप सभी को बताऊंगी कि कैसे आप को नियंत्रण रखना है। कौन कौन सी सावधानियां रखनी है।
अलग-अलग साधनाएं बताऊंगी कि कौन सी साधना को कब और कैसे करनी चाहिए सारे संपूर्ण नियम आपको बताऊंगी सावधानियां बताऊंगी तो आप जुड़े रहिए क्योंकि इस बार हम को बुलाएंगे और आपको दुख नहीं करते।
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