Amazing things about Ramadan Festival that you did not know.
इस्लाम धर्म में रमजान का बहुत ही ज्यादा महत्व है इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग 1 महीने रोजे रखते हैं। इस दौरान दिन में ना कुछ खाया जाता है। और ना ही कुछ दिया जाता है रमजान के पवित्र महीने के बारे में कुरान में लिखा गया है दोस्तों की अल्लाह ने पैगंबर साहब को अपने दूध के रूप में चुना था।
जान महीने के आखिरी 10 दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं क्योंकि इन दिनों में कुरान पूरी हुई थी दोस्तों रमजान के महीने में रोजा रखने के पीछे तर्क दिया जाता है कि इस दौरान व्यक्ति अपनी बुरी आदतों से दूर रहने के साथ-साथ खुद पर भी स्वयं रखता है।
दिन में कुछ भी नहीं खाया जाता लेकिन कहा जाता है कि खाने के अलावा व्यक्ति को खाने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए रोजे के दौरान अगर कोई व्यक्ति झूठ बोलता है पीठ पीछे किसी की बुराई करता है। झूठी कसम खाता है लालच करता है या कोई गलत काम करता है। तो उसका रोजा टूटा हुआ माना जाता है।
रोजा रखने के बारे में कहा जाता है कि हमें सिखाता है कि हम अपने जिस्म के किसी भी हिस्से से कोई भी गलत काम ना करें जैसे कि ना गलत सोने ना ही अपने हाथों और पैरों से कुछ गलत काम करें जो काम हमने 1 महीने तक किया उसे पूरी जिंदगी के लिए करना चाहिए।
रमजान के दौरान व्यक्ति को मन शुद्ध रखना होता है रोजे के दौरान किसी के लिए मन में कोई गलत विचार नहीं रखना चाहिए इस महीने के बारे में कहा जाता है। कि इस महीने में जितना हो सके उतनी गरीबों की हर संभव मदद करनी चाहिए।
रोजा में धन को दान किया जाता है। बताया जाता है। कि रमजान के महीने में कोई भी नेक काम किया जाता है तो उसका 70 गुना सवा अर्थात पुण्य मिलता है इसके अलावा इस महीने में ज्यादा से ज्यादा इबादत अर्थात प्रार्थना करनी होती है। जिससे सवाब अर्थात पुण्य मिलता है दोस्तों इसके अलावा पूरे साल में किए गए गुनाहों की माफी भीख मांगी जाती है।
मछली दोस्तों अब आपको बतलाते हैं।
रोजा और रमजान से जुड़ी कुछ अनसुने तथ्य के बारे में।
तो मुस्लिम मान्यताओं के मुताबिक पवित्र क़ुरआन इसी महीने में नाजिल हुआ इस माह में इबादत की खास जगह है जहां मुसाफिरों को नवाज पढ़ने का जिक्र है। दोस्तों फुलवारीशरीफ ऐसा मानते हैं कि मुसलमानों के पवित्र माह रमजान में गुनाहों की माफ़ी होती है और अल्लाह रहमतों का दरवाजा अपने बंदों के लिए कृषि महीने खोलता है। रोजा का अर्थ तकवा है। रोजा रखकर अपने लोग ऐसा इंसान बनने का प्रयास करते हैं जैसा उनका रब चाहते हैं।
ऐसा माना जाता है कि रोजा केवल भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं है। रोजा इंसान के हर एक भाग का होता है। रोजा आपका है। मतलब बुरा मत देखो कान से गलत बात मत सुनो मुंह से अब सब दिन आने के लिए हाथ से अच्छा काम ही हो गांव सिर्फ की राह पर चलें कुल मिलाकर बुराई से बचने और भलाई के रास्ते पर चलने का नाम रोजा है।
रोजे पूरे होने का वक्त तब होता है जब सूरज डूबता है रमजान इस्लामी कैलेंडर में नौवां महीना है सूर्य उदय से रोजा रखने के बाद शाम को सूर्यास्त होने के बाद ही इसे खोला जा सकता है। दोस्तों शाम को एक साथ एक त्यौहार करने से पारिवारिक मजबूती आती है ऐसा माना जाता है। कि छोटे बच्चे रोजा नहीं रखते बीमार बहुत बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को भी इससे छूट है।
इस माह में सिर्फ खाने पीने की चीजें नहीं सजावट और दूसरी चीजों की भी बिक्री बढ़ जाती है। क्योंकि रमजान के बाद ईद आती है और ईद मुसलमानों का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। दोस्तों रमजान के दौरान दान का भी बहुत ही ज्यादा महत्व है।
खैर और जकात देने का सिलसिला चल पड़ता है। गरीबों को दान दिया जाता है जकात यानी धर्मात पर कुछ पैसे खर्च करना जो कि इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है रमजान के महीने में चारों तरफ रोशनी दिखती है सिर्फ सड़कों पर ही नहीं बल्कि घरों की दीवारें भी रोशन हो उठती है।
और हर्षोल्लास के साथ उत्सव जैसा महसूस करवाती है। दोस्तों पूरे महीने रोजे रखने के बाद ईद का महीना आता है। जिससे कई लोग मीठी ईद भी बोलते हैं। दोस्तों इस दिन सेवइयां और मीठे पकवान बनते हैं। जो लोग रिश्तेदारों और जानने वालों को खिलाते हैं।
तथा इस्लाम धर्म में रमजान अर्थात रोजा से जुड़ा हुआ जानकारी उम्मीद करते हैं आप सभी को ये ब्लॉग पसंद आया होगा।
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