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What is bakra eid Festival? बकरा ईद के बारे में सम्पूर्ण जानकारी।

बकरी ईद की पूरी जानकारी जानिए सुरूवत और उत्पति कैसे हुई?

बकरी ईद इस्लाम धर्म में सबसे अधिक मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है एक जश्न की तरह इस त्यौहार को मनाने की रीत है इस मौके पर बाजारों में बजारी बढ़ जाती है नाना प्रकार की वस्तुओं के साथ मुस्लिम जश्न मनाते हैं लेकिन इस सबसे बढ़कर बकरी ईद का दिन कुर्बानी के लिए याद रखा जाता है।

बकरी ईद कब है? 2022 में


बकरी ईद saturday10/07/2022 जुलाई को है, और पब्लिक होलीडे 10/07/2022 जुलाई Sunday को है।

  • इस्लाम से जुड़ा हर शख्स खुद के सामने सबसे करीबी को कुर्बान करता है इसे ईद-उल-जुहा के नाम से जाना जाता है नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप का मेरे इस ब्लॉग में जहा पर आप बकरी ईद के बारे में जानेंगे। हम जानेंगे बकरी ईद की कहानी का महत्व व इतिहास के बारे में चलिए दोस्तों आगे बढ़ते हैं और जानते हैं।
पहली जानती है कि बकरी ईद कब है यह कुर्बानी का त्योहार रमजान के 2 महीने बाद आता है इसमें कुर्बानी का महत्व बताया गया है, इसे खासतौर पर हज यात्रा के बाद इस्लामिक संस्कृति में किया जाता है इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इसकी शुरुआत 10 जून से होकर है और खत्म तेरा दूल्हा पर होगी इस प्रकार यह इस्लामी कैलेंडर के बारे में दसवें दिन मनाए जाते हैं दोस्तों बकरी ईद का दिन भगवान का दिन होता है आमतौर पर हम सभी जानते हैं कि बकरी ईद के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है मुस्लिम समाज में बकरे को पाला जाता है अपनी हैसियत के अनुसार उसकी देखरेख की जाती है।
बड़ा हो जाता है उसी बकरी ईद के दिन अल्लाह के लिए कुर्बान कर दिया जाता है जिसे फर्ज है कुर्बान कहा जाता है क्या आप जानते हैं कि किस तरह से यह दिन शुरू हुआ चलिए दोस्तों जानते हैं बकरी ईद की कहानी इतिहास व ईद उल जुहा किसकी याद में मनाया जाता है।बकरा ईद की शुरुवात कैसे हुए।

  • दोस्तों इस इस्लामिक त्यौहार के पीछे एक ऐतिहासिक तथ्य छुपा हुआ है जिसमें कुर्बानी की ऐसी दास्तां है जिसे सुनकर ही दिल काम ज्यादा है वाधोना हजरत इब्राहिम की है जिन्हें अल्लाह का बंदा माना जाता है जिनकी इबादत पैगंबर के तौर पर की जाती है।
हर एक इस्लामिक द्वारा अल्लाह का दर्जा प्राप्त है जिसे इस पौधे से नवाजा गया उस शख्स का खुद खुदा ने इम्तिहान लिया था बात कुछ ऐसी है खुदा ने हज़रत मुहम्मद साहब का इम्तिहान लेने के लिए उन्हें यह आदेश दिया कि वह तभी प्रसन्न होंगे जब हजरत अपने बेइंतहा अजीज को अल्लाह के सामने कुर्बान करेंगे हजरत इब्राहिम ने कुछ देर सोच कर निर्णय लिया और अपने अजीज को कुर्बान करने का तय किया।
सब ने यह जानना चाहा कि वह क्या चीज है जो हजरत इब्राहिम को सबसे चहेती है जिसे वह आज कुर्बान करने वाले हैं तब उन्हें पता चला कि वह अनमोल चीज उनका बेटा हजरत इस्माइल है जिसे वह आज अल्लाह के लिए कुर्बान करने जा रहे हैं यह जानकारी सभी को चकित रह गए कुर्बानी का समय करीब आ गया बेटे को इसके लिए तैयार किया गया लेकिन इतना आसान ना था इस गुरबाणी को अदा करने के लिए हजरत इब्राहिम ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और अपने बेटे की कुर्बानी दी जब उन्होंने आंखों पर से पट्टी हटाई इब्राहिम की कुर्बानी काबुल की।
अब्राहिम के गुरबाणी के इस जज्बे से खुश होकर अल्लाह ने उसके बच्चे की जान बख्श दी और उसकी जगह बकरे की कुर्बानी को कुबूल किया गया तभी से कुर्बानी का यह मन से चला आ रहा है बकरी ईद उल जुहा के नाम से दुनिया जानती है।

चलिए दोस्तों बात करते हैं बकरी ईद के सच्चाई के बारे में।

दोस्तों इसके अलावा इस्लाम में हज करना जिंदगी का सबसे जरूरी भाग माना जाता है। जब हुए हज करके लौटते हैं तब बकरी ईद पर अपने अजीज की कुर्बानी देना भी इस्लामिक धर्म का एक जरूरी हिस्सा है जिसके लिए एक बकरे को पाला जाता है दिन-रात उसका ख्याल रखा जाता है ऐसे में उस बकरे से भावनाओं का जोड़ना आम बात है।
कुछ समय बाद बकरीद के दिन उस बकरे की कुर्बानी दी जाती है ना चाह कर भी हर एक इस्लामिक का उस बकरे से एक नाता हो जाता है फिर उसे कुर्बान करना बहुत कठिन हो जाता है इस्लामिक धर्म के अनुसार इससे कुर्बान हो जाने की भावना बढ़ती है इसलिए इस तरह का रिवाज चला आ रहा है।

कैसे बनाई जाती है बकरी ईद पूरी जानकारी के साथ।

  • ईदगाह में ईद संत पेश की जाती है पूरे परिवार एवं जानने वालों के साथ मनाई जाती है सबके साथ मिलकर भोजन किया जाता है कपड़े पहने जाते हैं जब दिए जाते हैं खासतौर पर गरीबों का ध्यान रखा जाता है उन्हें खाने को भोजन और पहनने को कपड़े दिए जाते हैं बच्चों में अपने से छोटों को ईद ही दी जाती है ईद की प्रार्थना नमाज अदा की जाती है इस दिन बकरे के अलावा गाय बकरी भैंस और ऊंट की कुर्बानी भी दी जाती है।
कुर्बान किया जाने वाला जानवर देख परख कर डाला जाता है अर्थात उसके सारे अंग सही सलामत होना जरूरी है वह बीमार नहीं होना चाहिए इस कारण ही बकरी का बहुत ध्यान रखा जाता है बकरे को कुर्बान करने के बाद उसके मांस का एक तिहाई हिस्सा खुदा को एक तिहाई घरवालों एवं दोस्तों को और एक तिहाई गरीबों में दे दिया जाता है इस प्रकार इस्लाम में बकरी ईद का त्यौहार मनाया जाता है।
  • त्योहार प्रेम और शांति का प्रतीक होते हैं जिस प्रकार के सलाम में कुर्बानी का महत्व होता है उसी प्रकार हिंदू में त्याग का महत्व होता है दोनों का आधार अपने आसपास क्रीम देना और उनके जीवन के लिए कुर्बानी अथवा त्याग करना है इसी भावना के साथ सभी धर्मों में त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन कलयुग में इस दौर में त्योहारों के रूप बदलते जा रहे हैं और यह कहीं ना कहीं दिखावे की तरफ रुख करते नजर आ रहे हैं।
  • चलिए दोस्तों इसी बहाने बकरी ईद मुबारक की शायरी के बारे में जान लेते हैं कुर्बानी फर्ज अदा कर तेरे द्वार पर खड़ा हूं मौला रहमत बस मुझ पर पूरा कर सकूं हर शख्स की दुआ हज का अदा कर आया हूं तेरे दीदार को खड़ा हूं खुदा मुझ में इतनी नेगी बख्श दे कि कोई गरीब ना सोए भूखा ईद के खास मौके पर दिल से दिल मिला लो गिले-शिकवे भुलाकर गले से लगा लो अल्लाह से है गुजारिश पूरी करना मेरे अपनों की ख्वाहिश जज्बातों से भरा है मुल्क मेरा सभी को सिखा क्या तेरा क्या मेरा मेरी दीदी में इतनी बरकत दे मौला पेट भर सकूं हर किसी का इस जहां में ना सोए कोई भूखा ऐसा रख दे मेरे कर्मों में खुदा।
  • What is the story behind Bakra Eid? What is special in Bakra Eid?
    What is bakra eid Festival? बकरा ईद के बारे में सम्पूर्ण जानकारी।

Disclaimer:
यह जानकारी हमने ऑनलाइन से, न्यूज पेपर और अन्य जगह से ली गई है। हम इस बात को पूर्ण  सही या गलत नही बोल रहे है, हम किसी भी धर्म और जाति के खिलाफ नही है। इस ब्लॉग का उद्देश्य है आप तक जानकारी पहुंचाना यदि इस ब्लॉग में दी हुई जानकारी आपको सही, अधूरी लगती है या कुछ और विचार है, तो आप हमें इस पर कांटेक्ट कर सकते हैं।
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