जानिए 15 August National Festival का पूरा रहस्य हैरान हो जाओगे जान कर।
क्या आप भी जानना चाहते हो 15 अगस्त के बारे में, क्यों यह फेस्टिवल को हम इतने धूम धाम से मनाते है? इस ब्लॉग में आप को 15 अगस्त के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिल जाएगी आप इसे सुरु से लास्ट तक जरूर पढ़े।
15 अगस्त यह शब्द सुनकर सब सबसे पहले हमारे सामने भारत का तिरंगा आता है क्योंकि 15 अगस्त 1947 का वह दिन भारतीय इतिहास के लिए बहुत खास दिन है।
लेकिन उस समय यानी 14 अगस्त और 15 अगस्त के दिन जो हुआ था वह कहानी ज्यादातर भारतीय लोगों को नहीं पता है। जिसने भारत का नक्शा बदल दिया था।
आज के इस ब्लॉग में हम उसकी बात करेंगे कि 14 और 15 अगस्त 1947 की रात क्या हुआ था अंग्रेजों ने आजादी के लिए इसी दिन को क्यों चुना था आजादी के दस्तावेजों पर किस ने दस्तखत किए थे महात्मा गांधी ने इस आजादी को क्यों स्वीकार नहीं किया था।
- पाकिस्तान और भारत एक ही दिन आजाद होने के बावजूद पाकिस्तान 14 अगस्त को ही क्यों आजादी बनाता है ऐसे कई मुद्दों पर आजम डिटेल्स में बात करेंगे तो ब्लॉग के अंत तक हमारे साथ बने रहे।
दूसरा की कहानी की शुरुआत करें उससे पहले आपको उसके आगे की कहानी जानी जरूरी है तो आजादी की मांग की शुरुआत तो बहुत पहले से हो गई थी।
जिसमें लाखों भारतीय युवाओं ने योगदान दिया था और कहीं तो अपने देश के लिए कुर्बान भी हो गया और धीरे-धीरे आजादी की मांग की लड़ाई मजबूत होती चली गई।
- आखिर में गांधी जी का जनांदोलन और सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज ने भी अंग्रेज शासन की नींद हराम कर दी है यानी लाखों युवा के योगदान से हम आजादी के बहुत नजदीक आ गए और तभी साल होने से 45 में यानी दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद अंग्रेजों के आर्थिक हालत बद से बदतर हो गए।
अपने ही देश में शासन करने में असमर्थ हो गए हैं इसके बाद आजाद भारत का सपना सच होने की कगार पर था क्योंकि अंग्रेजों ने ऐलान कर दिया कि अब हम कुछ समय में भारत को आजाद कर देंगे।
और फिर फरवरी 1947 में लॉर्ड माउंटबेटन को भारत का आखिरी वायसराय चुना गया पर माउंटबेटन को यह जिम्मेदारी दी गई कि तुम व्यवस्थित तरीके से भारत को आजाद करो।
अब सवाल यह उठता है कि भारत को आजाद करने के लिए लॉर्ड माउंटबेटन को ही क्यों चुना गया था तो माउंटबेटन दूसरे युद्ध में अलग फोर्सेज यानी मित्र देशों सेना के कमांडर थे।
एलाइड फोर्सज दूसरा युद्ध जीते थे इसलिए माउंटबेटन एक जाना माना चेहरा बन गया था इसी वजह से पूरे भारत को आजाद करने के लिए चुना गया था।
3 Jun 1948 को भारत को आजादी
- अब अंग्रेज सरकार ने हत्या कर दिया कि 3 जून 1948 को भारत को आजादी देनी है लेकिन माउंटबेटन के वाइस में बनने के तुरंत बाद माउंटबेटन के भारतीय नेताओं से बातचीत शुरू हो गई अब अंग्रेज सरकार के आदेश पर भी शासन करते थे उनके आजाद करते थे।
ताकि वे आपस में ही लड़ते रहे और हम चैन की नींद सोए हैं। भारत के टुकड़े कर रहे थे तो उनका यह काम जिन्ना और नेहरू ने आसान कर दिया क्योंकि जिन्ना और नेहरू के बीच बंटवारे को लेकर पहले से खलबली मची हुई थी।
इस दौरान जिन्ना ने अलग देश बनाने की मांग रख दी थी जिसकी वजह से भारत के कई क्षेत्रों में सांप्रदायिक हिंसा शुरू हो गए थे वर्षा की वजह से माउंट बेटे ने जो आजादी भारत को 1948 में मिलने वाली थी उसे 1947 में देने का ऐलान कर दिया।
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15 August 1947 ka mahatv |
- माउंटबेटन ने आजादी के लिए साल 1947 का 15 अगस्त का दिन निर्धारित किया तो अब सवाल यह उठता है कि माउंटबेटन ने 15 अगस्त का दिन होता है क्या आप जैसे लोग कोई भी काम करने से पहले शुभ और अशुभ को ध्यान में रखते हैं बिल्कुल वैसे ही माउंटबेटन पशु पशु को मानता था।
इसलिए माउंटबेटन ने 15 अगस्त को चुना क्योंकि यह तारीख उनके लिए खास थी क्योंकि दूसरे () के वक्त 15 अगस्त 1945 को जापान आर्मी ने इंफोसिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
पुरुषों में माउंटबेटन इंफोसिस के कमांडर है उसको लेकर आप कंफ्यूज मत होना क्योंकि यह सेना साल 1942 में बनी थी जिसमें टोटल 26 देश शामिल थे।
उसमें से एक था प्रेग्नेंट की तरफ से माउंटबेटन कमांडर थे इसलिए माउंटबेटन ने 15 अगस्त को चुना था लेकिन जब 15 अगस्त से हुई तो भारतीय मनुष्य दो और ज्योतिषियों ने इसका इनकार किया किया दिन हमारे लिए ठीक नहीं है क्योंकि उनके मुताबिक यह तारीख ठीक नही थी।
इसलिए इन्होंने माउंटबेटन को दूसरी तारीख को का सुझाव दिया लेकिन माउंटबेटन 15 अगस्त को लेकर अडिग रहे हैं उसने किसी की भी नहीं मानी इसलिए भारतीय ज्योतिषियों ने एक और उपाय निकाला।
- 14 और 15 अगस्त की रात 12:00 बजे का समय तय किया क्योंकि अंग्रेजों के हिसाब से रात 12:00 हिंदू कैलेंडर के हिसाब से सूर्योदय के उगने के बाद अगला दिन शुरू होता है तो 14 अगस्त की रात को आजादी देना नहीं हुआ।
अब बात करते हैं इस पूरे दिन की तो आज अधिकांश राजधानी दिल्ली में मनाया जा रहा था और उस दौर की किताबों से यह जानकारी मिलती है कि 14 अगस्त की शाम से ही दिल्ली में बारिश शुरू हो गई थी लेकिन आजादी का जश्न हर हाल में मनाना था इसलिए बारिश के बावजूद भी रात 9:00 बजे के आसपास करीब 500000 लोग इकट्ठा हो गए थे।
पर इकट्ठा होना ही था जो कि 200 सालों के गुलाम के बाद यहां आजादी मिली थी इसीलिए बड़े कीमती थी जिसके लिए लाखों लोगों ने बलिदान दिया था फिर रात 10:00 बजे आज भारत का राष्ट्रपति भवन है वहां पर जवाहरलाल नेहरू सरदार पटेल डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद और माउंटबेटन आए।
- लेकिन आजादी का लड़ वीजा महात्मा गांधी यहां पर नहीं थे जिस व्यक्ति ने ताउम्र देश की सेवा में गुजरती बना वह इंसान देश की आजादी का हिस्सा नहीं बना आखिर क्यों।
14 अगस्त को आधी रात को भारत को आजादी देने की तैयारियां चल रही थी उस वक्त राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल में नौकरी में अनशन पर बैठे हुए थे।
क्योंकि मैं बंगाल में हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच चल रहा है दंगे से काफी दुखी थे और उन्हें रोकने के लिए वहां बंगाल में अनशन पर बैठे हुए थे तो नेहरू और सरदार पटेल ने बंगाल में अनशन पर बैठे गांधी को खत लिखा कि हम सब ने मिलकर जिस आजाद भारत का सपना देखा है 5 सपना पूरे होने जा रहा है।
इस मौके पर आप यहां मौजूद रहकर हम सभी को आशीर्वाद दें तो बहुत अच्छा होगा तो जवाब में गांधी जी ने कहा कि जब भारत के उपाय भाई आपस में लड़ रहे हैं तो हम आजादी का जश्न कैसे बना सकते हैं यहां बंगाल में देखो और वहां पंजाब में देखो अगर ऐसी आपसे हिंसा के बाद हमें यह आजादी मिल रही है तो मैं हिंदुस्तान के उन करोड़ों लोगों को यह संदेश देना चाहता हूं कि जो तथाकथित आजादी आ रही है मैं नहीं लाया यह सत्ता के लालची लोग सत्ता के हस्तांतरण के चक्कर में फस कर लाए हैं।
- गांधीजी इस जश्न में शामिल नहीं हुए थे अभी दिल्ली में भारतीय ज्योतिषियों ने पंडित नेहरू से कहा कि आप अपनी आजादी की स्पीच रात 11:51 पर शुरू करें और 12:00 बजे तक खत्म कर दें।
उसके बाद शंखनाद किया जाएगा जो एक नए देश के जन्म की गूंज दुनिया तक पहुंचाएगा और जैसा तय हुआ वैसा ही हुआ 14 अगस्त के मध्य रात्रि को जवाहर लाल नेहरू ने राष्ट्रपति भवन से ऐतिहासिक भाषण दिया इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना लेकिन उस रात देश की राजधानी का सबसे बड़े पुरोधा और देश के स्वतंत्रता की नींव रखने वाले मोहनदास करमचंद गांधी ने वह भाषा नहीं सुना था।
- दो कि यहां बंगाल और उस तरफ पंजाब में जो हिंसा हुई थी उसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते क्योंकि भारत के लाखों लोगों का पाकिस्तान जाना और पाकिस्तान से भारत आना या मानव जाति के इतिहास का सबसे बड़ा स्थानांतरित है यह सब देख कर गांधी से बड़े दुखी थे।
उनकी मांग पूर्ण स्वराज्य की थी जो मिला तो सही लेकिन दो टुकड़ों में बैठकर इसलिए उन्होंने आजादी कहना नहीं बनाया था।
15 अगस्त के दिन की शुरुआत सुबह 8:30 बजे हुई जब राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह हुआ नई सरकार ने दरबार हॉल में शपथ ली लेकिन तब ना तो राष्ट्रगान गाया गया और ना ही तिरंगा पहनाया गया।
- आज का जो हमारा राष्ट्रगान है वह गीत टैगोर जी ने साल 1911 में ही लिख दिया था लेकिन यह गीत साल 1950 में राष्ट्रगान बनाया गया और अगले दिन यानी 16 अगस्त को लाल किले से तिरंगा पहना गया था।
अब आजादी मिल गई लेकिन अब तक बंटवारे की सीमा रेखा तय नहीं थी कि यहां से यहां पर पाकिस्तान का होगा और यहां बस भारत का जाने भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण अभी तक नहीं हुआ था इसका फैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ।
अब बात करते रहे कि आजादी के दस्तावेज पर किसने दस्तखत किए थे तो यह बात आज तक कोई नहीं जानता जब इस सवाल का जवाब मांगा गया तो सरकार ने कहा कि भारत की आजादी से संबंधित कोई भी कागज उनके पास नहीं है।
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15 August aazaadee divas |
- हमें नहीं पता कि भारत को आजादी देने वाले कार्यों पर किस ने दस्तखत किए थे ऐसा सरकार का कहना है।
15 अगस्त को मिली तो पाकिस्तान 14 अगस्त को आजादी दिवस क्यों मनाते है रेडियो पाकिस्तान हर साल जीना की आवाज में पहली बधाई संदेश सुनाता है जिसमें वह कहता है कि 15 अगस्त की आजादी मुबारक हो।
सारी खुशियों के साथ में आपको बधाई देता हूं 15 अगस्त स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र पाकिस्तान का जन्मदिन है और इसके बाद साल 1948 में पाकिस्तान ने जो पहला डाक टिकट जारी किया उसमें भी आजादी के तारीख 15 अगस्त 1947 दर्ज है।
पाकिस्तान बनने के बाद 15 अगस्त
- पाकिस्तान बनने के बाद दो स्वतंत्र दिवस 15 अगस्त को ही मनाया गया था लेकिन जिन्ना के जाने के बाद किसी ने पाकिस्तान का समय पूरे 24 घंटे पीछे कर दिया तब से आज तक पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त को ही मनाता है।
पर 15 अगस्त के दिन भारत के साथ-साथ दक्षिण कोरिया जापान से साल 1945 में आजाद हुआ था 12 साल 1971 में अंग्रेजों से और कांगो जो साल 1960 में फ्रांस से आजाद हुए थे यानी भारत और पाकिस्तान आजाद हुए थे।
लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है कि हम कौन से दिन आजाद हुए हैं टाइम बात तो यह है कि आजादी के बाद अब तक हमने क्या हासिल किया है क्या लगता है आपको कमेंट करके जरूर बताएं।
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