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Top 20 festivals are there in India explanation all in हिंदी।

Complete information about 20 festivals of India.

इंडिया के 20 फेस्टिवल के बारे में पूरी जानकारी।

दिवाली या दीपावली का खुशियों और चारो ओर प्रकाश वाला फेस्टिवल।
होली रंग में भंग या कलर्स वाला फेस्टिवल।
नवरात्रि मां दुर्गा या चोरों ओर खुशियां और प्रवित्रता वाला फेस्टिवल।
गणेश चतुर्थी या भगवान गणेशा फेस्टिवल।
  • 5. Krishna Janmashtami Festival

कृष्णा जन्माष्टमी महोत्सव

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  • 6. Raksha Bandhan The festival of brother and sister protecting each other.

रक्षा बंधन भाई और बहन एक दूसरे की रक्षा का फेस्टिवल।

नमस्कार दोस्तो स्वागत है। आप सभी का मेरे इस ब्लॉग में जहा आप को नई और बेहतरीन सूचना प्राप्त होती है।
इस ब्लॉग में आप लो टॉप 20 फेस्टिवल में बारे में पूरी जानकारी मिलेगी जैसे उस फेस्टिवल को कैसे मनाया जाता है। और कैसे मनाया जाता है। यह पूरी जानकारी के साथ विश ऑल फेस्टिवल के कर आया है। आप के लिए शानदार ब्लॉग।
देश विदेश के सभी लोग यह जानने के लिए बढ़े इच्छुक रहते है। की इंडिया में फेस्टिवल कैसे मनाया जाता है। और भी चीज जानने के लिए इच्छुक रहते है। यह ब्लॉग आप के लिए है। जहां इंडिया के फेस्टिवल के बारे में जान पाओगे।
इंडिया में इंडिया के व्यक्ति बोहोत से फेस्टिवल मानते है। और यह फेस्टिवल को बड़े उत्साह से मानते है। जैसे की इंडिया में अलग अलग तरह फेस धर्म वाले लोग रहते है। और सभी लोग एक दूसरे के धर की रिस्पेक्ट करते है। और फेस्टिवल को धूम धाम से मानते है।

गुरु का महत्व गुरु के बारे में कभी सांप का एक दुआ है जिसमें बहुत अच्छी बात कही गई है गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय।
हरि गुरु आपने गोविंद दियो बताए इसका मतलब है कि गुरु और भगवान एक साथ खड़े हैं तो किसे प्रणाम करना चाहिए उनका कहना है कि गुरु के श्री चरणों में ही शीश झुकाना उत्तम है।
क्योंकि गुरु की कृपा से ही गोविंद के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है गुरु पूर्णिमा का महत्व गुरु को करना भी कहा गया है गुरु अपने शिष्य को शिक्षा देकर उसे एक नया जन्म देते हैं गुरु अपने शिष्यों के सभी दोषियों को माफ करते हैं।
गुरु का महत्व की दृष्टि से सकारात्मक है सही मायने में जो व्यक्ति हमें कुछ नया सिखाता है यह हमारा मार्गदर्शन करता है हमारा गुरु बन जाता है इसलिए हमें उसका सम्मान जरूर करना चाहिए।
पूर्णिमा के दिन सावधानियां।
पूरी सदस्य मनाना चाहिए इसको अंधविश्वास के आधार पर नहीं मनाना चाहिए कभी किसी का अनादर नहीं करें बड़े बुजुर्गों और गुरुओं का सम्मान करें।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु ब्राह्मणों और गरीबों को दान देने में निस्वार्थ भाव रखें सबसे महत्वपूर्ण बात अगर आप शुभ फल पाना चाहते हैं तो अपने कर्मों को अच्छा बनाए रखना भी बहुत जरूरी होगा।
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि।
हनुमान के दिन सुबह जल्दी स्थान आदि कामों से निवृत्त होकर गुरु के चित्र को गुरु को एक उचित आसन पर बैठा कर पुष्प माला पहना है इसके बाद वस्त्र फल फूल माला अर्पण करने के साथ-साथ हैं।
धन भी वेट करें माता-पिता बड़े भाई बहन आदि की पूजा करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए गुरु पूर्णिमा के दिन उनके उपदेशों का पालन करना चाहिए।
भविष्य पुराण के अनुसार पूर्णिमा के दिन जिस स्थान पर नदी में स्नान करना अच्छा होता है या फिर जल में गंगा जल मिलाकर भी स्नान करना शुभ फल देता है।
इस दिन पितरों को तर्पण करना बहुत शुभ माना जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन गरीबों और ब्राह्मणों को दान करने से भी अधिक पुण्य मिलता है।
गुरु पूर्णिमा की मान्यता।
ऐसा माना जाता है कि आशापुरी मां को ही गुरु वेदव्यास का जन्म हुआ था और उनके सम्मान में ही आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन के बाद गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए क्योंकि गुरु का आशीर्वाद सभी के लिए कल्याणकारी ज्ञानवर्धक होता है। अपने माता-पिता बड़े भाई बहन की पूजा का भी विधान होता है विधि का प्रथम गुरु माता पिता बड़े भाई में आदमी होते हैं क्योंकि की शुरुआत होती है।

  • 12. Karwa Chaut 

हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है करवा चौथ को करती के नाम से भी जाना जाता है।
वक्र का अर्थ होता है मिट्टी से बना हुआ फादर इस पृथ्वी चंद्रमा को जल मिट्टी से बने मात्र से ही दिया जाता है इसी कारण इस पूजा में खो जाता है पूजा के बाद या तो अपने घर में संभाल कर रखा जाता है। 
महिला को दान में भी देने का विधान है करवा चौथ का व्रत पंजाब राजस्थान उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में विशेष रूप से मनाया जाता है।

चौथ का व्रत केवल सुहागिन स्त्रियां ही रहती है। अपने पतिदेव की लंबी आयु दांपत्य जीवन में सुख समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए रखती है।
इस पूरे दिन हर रात चंद्र दर्शन किए बिना और जल यानी न्यू जला रही है तथा रात में पूजा के उपरांत भी आना और जलन करती है। करवा चौथ में आम में अथवा रात्रि में चंद्रमा देखने का विधान है।
सुहागिन महिलाएं रात में भगवान शिव माता पार्वती और कार्तिक के साथ गणेश जी की पूजा करती हैं।
चंद्रोदय पर आकाश में जब चंद्रमा दिखाई देती है चंद्रमा को अर्घ्य देती है और छलनी से चंद्रमा को देखती है उसके बाद देखते हैं।

महिलाएं अपने पति के हाथ से ही पानी पीते हैं और अपना व्रत पूरा करती है इसके बाद अपनी पसंद थी भोजन ग्रहण करती है।

कथा।

बहुत समय पहले की बात है एक साहूकार के साथ बेटे और उनकी एक बहन करवा दी सभी साधु भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते हैं।
यहाँ तक की पहले इस्तेमाल खाना खिलाते और बुरे में स्वयं खाते थे एक बार उनकी बहन ससुराल से मयके मैं हुई थी।
शाम को भाई जब अपना व्यापार बंद करके घर आए तो देखा की उनकी बहुत प्यार करता है सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का घर करने लगे।
लेकिन बहन ने बताया की उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिरफ चंद्रामा को देखो अर्ध देकर ही खा शक्ति है।
अभी तक नहीं निकला है इसलिये वह भुख प्यारा व्यकुल होती है सबसे छोटे भाई से अपनी बहन की हलत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलने की वोट में रख देता है।
देखने पर ऐसा प्रतित होता है की जैसी चतुर्थी का चांद उदित हो रहा हूं इसके खराब भाई अपनी बहन को बताता है कि चांद निकला है तो मुझसे अर्क देने के खराब भोजन कर शक्ति हो।

बहन खुशी के मारे सिद्धियों प्रति चक्कर चांद को देखता है का उपयोग अर्क देकर खाना खाने के लिए जाति है वह पहला टुकरा मुं में दलती है का उपयोग करने के लिए छिंक एक जाति है।
तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मैं में डालने की कोषिश करता है तो उसे पति की मृत्यु का समाचार मिलाता है।
उसकी भाभी उपयोग सच्चा से सावधान करता है की उसके साथ ऐसा क्यों हुआ करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के करन देवता से नरज हो गए हैं।
सच्चा जाने के खराब गरबा निश्चय कर्ता है की वह अपने पति का अंत संस्कार नहीं होने देंगे उसे देखभाल उसके ऊपर उगाने वाली सुई एक साल,
करवा चौथ का दिन आता है उसकी सभी भाभी करवा चौथ का व्रत रखता है।
मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बनाना दो मुझे भी अपनी जैसी सुहागन बना दो।
हर बार भाभी उपयोग अगली भाभी से अगर करने का कह कर चली जाती है।
उससे भी यही बात दहोरती है। भाभी उपयोग बता दी है की जो की सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अत: उसकी पत्नी में ही शक्ति है की वह।
तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है उपयोग नहीं छोडना।
सबसे अंत में छोटी भाभी आती है करवा उनसे भी सुहागिन बनने का अगर कारती है।
चींटी में उसकी तपस्या को देख भाभी पासित जाति है और अपनी छोटी उंगली को चीर कर उसमें से अमृत उसके पति के मन में दाल देती है।
श्री गणेश श्री गणेश कहता हुआ उठा बैठा है। प्रकर प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के मध्यम से करवा को अपना सुहाग वपस मिल जाता है।

  • 13. Makarskranti 

संक्रांति क्यों मनाया जाता है जैसा कि आप जानते हैं भारत में शुरुआत के समय से ही प्रकृति को देवों का स्थान दिया गया है। और मकर संक्रांति का त्यौहार जो है वह भी प्रकृति को ही समर्पित है।
दरअसल यह पूरी तरीके से वैज्ञानिक त्यौहार है और सूर्य की स्थिति जो बदलती है उस कारण से इस त्यौहार को मनाया जाता है।
जैसा कि आप जानते हैं यह सनातन धर्म और हिंदू धर्म में अधिकतर जो परंपराएं और मान्यताएं हैं वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बनाई गई है मकर संक्रांति को भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
तमिलनाडु में से पुनागल के रूप में आंध्र प्रदेश कर्नाटक और केरल में केवल संक्रांति के नाम से जाना जाता है तो उत्तर प्रदेश में कहीं इसको खिचड़ी के नाम से जाना जाता है।

अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है गुजरात में मकर संक्रांति खोलो उत्तरायण के नाम से जानते हैं तो वहीं राजस्थान बिहार और झारखंड में इसे सकरात का जाता है।
इसके पीछे की क्या कहानी है मैं आपको बताता हूं हिंदू धर्म में मां को दो पक्षों में बांटा गया है कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में किसी तरह से वर्ष को भी दो बयानों में बांटा गया है एक है उत्तरायण और एक है दक्षिणायन अगर दोनों को मिला दिया जाए तो 1 वर्ष पूरा हो जाता है।
मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति बालम हो जाती है इसलिए मकर संक्रांति को उत्तरायण भी खाते हैं। इसके अलावा पौष मास में जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है।

यह त्यौहार मनाने की विधि यह सारे वैज्ञानिक कारण नहीं है इसके अलावा कुछ धार्मिक मान्यताएं भी है जैसे कि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार आज के दिन यानी मकर संक्रांति के दिन मानसून अश्रु का अंत करके उनके सिरोको मंदार पर्वत में दबाकर युद्ध की समाप्ति की घोषणा की थी इसीलिए इस मकर संक्रांति के दिन बुराइयों और नकारात्मकता को समाप्त करने का दिन भी मानते हैं।
मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है क्योंकि सूर्य जो है वह धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है इसीलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

मकर संक्रांति कैसा त्यौहार है जिसे संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है हर साल जनवरी के 14 तारीख मकर संक्रांति मनाया जाता है।
कही कहीं आज के दिन पतंग उड़ाने का भी परंपरा होता है पूरे भारत में इस त्योहार को हर्षोल्लास से मनाया जाता है तो मकर संक्रांति त्योहार मनाने के पीछे मुख्य कारण जो थे और जो मान्यताएं थी। वह मैं बता चुका हूं।

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