Maharashtra Festival how to celebrate महाशिरात्रि की पूरी जानकारी।
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दक्षिण भारत में जो कथा ज्यादा प्रचलित है। वह कथा कुछ ऐसी है।
हर एक ब्रह्माण्ड में एक ब्रह्मा एक विष्णु एक शंकर होते हैं।
अनंत ब्रह्माण्ड है तो अनंत ब्रह्माण्ड में अनंत ब्रह्म अनंत विष्णु अनंत शंकर होते हैं। सभी अनंत ब्रह्माण्डों के एक गृह विष्णु और एक सदा शिव होते हैं।
यह सदाशिव है। यह सदा रहते हैं तो जब महाप्रलय होता है। जिसमें समस्त ब्रह्मानंद भगवान में लेने होते हैं तो वह सदाशिव में जकर लेने हो जाते हैं।
सदाशिव हमेश सदा रहते हैं वह किसी में लेने नहीं होते तो एक प्रसाद आता है। जिस में ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बिच में चर्चा होती है की हम में से बड़ा कौन है।
तबी एक बहुत बड़ा खंबा प्राकट हो जाता है। तब ब्रह्मा जी जी ने कहा की मैं इसका आदि देखता हूं और विष्णु जी ने कहा है। मैं इस्का अंत देखने की कोषिश करता हूं।
तो जाते हैं। लेकिन किसी को ना आधी पता चलता है न अंत पता चलता है तो यह जो प्रसार है। या महाशिवरात्रि के दिन हुआ था।
अस्तु इसलिये महाशिवरात्रि का बड़ा महत्व है दिन कुछ भक्त लोग रात भर कीर्तन करते हैं तो कुछ भक्त लॉग अप करते हैं।
उपवास का अर्थ होता है। मैटलैब समीप और वास करना वास मतलाब निवास भगवान के निकत निवास करना यह ऊपर हो गया भगवान के पास जाने के लिए भक्ति मार्ग को बताया है।
की भगवान की भक्ति करके भगवान के निकत जय जा सकता है। भगवान की भक्ति करनी है।
जो शिव त्याग की कथा है। शिव विवाह की कथा है। यह कथा रामचरितमानस में और श्रीमद् भागवत पुराण में भी यह कथा मिलाती है। कथा के अवसर एक बार शिवजी और सती जी जा रहे हैं।
तबी उन्होन दंड का रंग में राम और लक्ष्मण को देखा जो देवी सीता को धुंध रहे थे तबी शंकर जी ने उन प्रणम किया और मन सती को भ्रम हो गया की ऐसा कैसे हो सकता है। और निराकार भगवान सकार हो गया और को धुंध रहा है वह तो सर्वज्ञ है सर्व अंतर्यामी है उसे मलूम होना चाहिए उसकी पत्नी कहां है।
अस्तु यह भ्रम हो जाता है शंकर जी उन्हें समझौता हैं सती जी नहीं मनाती हैं। तो शंकर जी कहते हैं। जाओ परीक्षा ले लो शंकर जी जब परीक्षा लेने को कहते हैं तो वह सती सीता जी का भेजन करके जकार बैठ जाती जाती।
तबी राम जी ने तुरंत पहचान लेते और कहते हैं की माता जी पिताजी किधर है। ऐसा देख मन सती को और भ्रम हो जाता है।
की क्या बात तो जब सती वापस आती है। शिव के पास तो वह झूठ बोल देती है में राम की परीक्षा नहीं लिए लेकिन शिव जी अंतर्यामी इसलिये वह जान गए की यह मेरी माता सीता का भेश धारण करके गई थी। और परीक्षा ली।
अत: हमने सोचा की इन मेरी मन का स्वरूप धारण किया है अत: जन्म में तो इनके साथ अब पति पत्नी का रिश्ता नहीं रह सका।
इज अनहोन अपने मन ही मन में सती को त्याग दिया था, खराब में सती जी को यह शंका हो ही गई थी की शिव जी ने मुझे मणि मन त्याग दिया था। एक दिन जब तक जो सती के पिता द वाह यज्ञ करवा जी लेकिन शिव रहे लेकिन को नहीं बुलाया था।
सातिक जिद करने लग गए शंकर जी से की मैं भी जाऊंगी तो शंकर जी ने उन कहा की ठीक है। जाओ गांवों को साथ भेजा सतीश जी जब वाहन प्रति गया वाहन पर उनके साथ बड़ा बैचित नहीं की।
लेकिन मन ने आदर्श कर उनका किया जब सतीश जी यज्ञ में जाति है। तो देखता है। की वहन पर शिवजी का आसन नहीं रहता है तो वह अपने पति का अपना समाज कर रहा है पर अपने आप को योग अग्नि में है।
उसके खराब एफआईआर स्वयं राम गए थे, शंकर जी के पास और उन्होन कहा था। की जब प्रशस्त आएगा शादी के लिए तो आप हां कर दिजिएगा।
कृपा मन पार्वती का अवतार लेकर आती हैं। पिता उसे नरेश और माता मैना के घर में उसके खराब एफआईआर नवयुगिरो ने मन पार्वती की परीक्षा लेते हैं। तो पार्वती जी ने उनसे कहा की मैं याद तो शिव जी से शादी करुंगी नहीं से अनंत कल तक कुंवारे रही,
ऐसा जवाब मिल कर शिव जी का विवाह तय हुआ और जिस दिन शिव जी का विवाह हुआ वह महाशिवरात्रि के पर्व में माने जाति है।
दक्षिण भारत में जो कथा ज्यादा प्रचलित है। वह कथा कुछ ऐसी है।
हर एक ब्रह्माण्ड में एक ब्रह्मा एक विष्णु एक शंकर होते हैं।
अनंत ब्रह्माण्ड है तो अनंत ब्रह्माण्ड में अनंत ब्रह्म अनंत विष्णु अनंत शंकर होते हैं। सभी अनंत ब्रह्माण्डों के एक गृह विष्णु और एक सदा शिव होते हैं।
यह सदाशिव है। यह सदा रहते हैं! तो जब महाप्रलय होता है। जिसमें समस्त ब्रह्मानंद भगवान में लेने होते हैं तो वह सदाशिव में जकर लेने हो जाते हैं।
सदाशिव हमेश सदा रहते हैं! वह किसी में लेने नहीं होते तो एक प्रसाद आता है। जिस में ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बिच में चर्चा होती है! की हम में से बड़ा कौन है।
तबी एक बहुत बड़ा खंबा प्राकट हो जाता है। तब ब्रह्मा जी जी ने कहा की मैं इसका आदि देखता हूं और विष्णु जी ने कहा है। मैं इस्का अंत देखने की कोषिश करता हूं।
तो जाते हैं। लेकिन किसी को ना आधी पता चलता है न अंत पता चलता है तो यह जो प्रसार है। या महाशिवरात्रि के दिन हुआ था।
अस्तु इसलिये महाशिवरात्रि का बड़ा महत्व है दिन कुछ भक्त लोग रात भर कीर्तन करते हैं तो कुछ भक्त लॉग अप करते हैं।
उपवास का अर्थ होता है। मैटलैब समीप और वास करना वास मतलाब निवास भगवान के निकत निवास करना यह ऊपर हो गया भगवान के पास जाने के लिए भक्ति मार्ग को बताया है।
की भगवान की भक्ति करके भगवान के निकत जय जा सकता है। भगवान की भक्ति करनी है।
महाशिवरात्रि पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। किन चीजों पर ध्यान दिया जाता है।
महाशिवरात्रि या यूं कहें भगवान शिव की सबसे बड़ी रात हिंदू कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण पैरों में फाल्गुन महीने में चतुर्दशी तिथि के चरण के दौरान मनाया जाता है।
1 दिन के व्रत का पालन करते हैं और अपने महादेव भगवान शिव को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए पूजा करते हैं। महाशिवरात्रि से पहले तो हार के दौरान क्या करें क्या ना करें इन बातों पर ध्यान देते हैं।
इस बात पर आपको क्या करना चाहिए प्रातकाल आपको जल्दी उठना चाहिए अगर हो सके तो माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त के दौरान होना चाहिए या नहीं सूर्योदय से 2 घंटे पहले का समय।
संकल्प के बाद आप ध्यान करें संकल्प लें कि आप वर्क को ईमानदारी और सच्ची भक्ति के साथ करेंगे सुबह उठकर नहाए साफ कपड़े पहने अगर हो सके तो सफेद रंग के कपड़े पहने।
ब्रह्मचार्य नियम का पालन करें ब्रह्मचर्य व्रत बनाए रखें और किस वर्ष का पालन करें,
अपने स्वास्थ्य का आकलन आप कर लीजिए यानी कि अगर आप नियमित आहार योजना के बिना 1 दिन बिताने सर आपका स्वास्थ्य खराब हो सकता है या आप डॉक्टर से परामर्श लेने कोई दवाई आपकी चल रही है। तो आप कुछ खा कर भी यह व्रत कर सकते हैं।
और अगर आपका शरीर आप को इजाजत देता है। आपका शरीर स्वस्थ है। आप 1 दिन निर्जला व्रत भी कर सकते हैं। तो ईश्वर को आप सिर्फ चल जाए पानी या फिर फ्रूट के साथ भी रह सकते हैं।
जितनी बार हो सके ओम नमः शिवाय का जाप करें। घर या मंदिर में शिवलिंग को जल या कच्चा दूध चढ़ाएं आपकी दही शहद भी चढ़ा सकते हैं। धतूरे के फल और फूल सफेद मुकुट के फूल बेलपत्र चढ़ाने हल्दी की जगह चंदन चढ़ाएं अपनी प्रार्थना करें और निश्चित आकार या दोपहर के दौरान पूजा करें।
उनके अनुकूल सामग्री वाले फल दूध व्यंजन का सेवन करें क्या ना करें किसी भी रूप में चावल दाल का सख्त वर्जित है।
मसाले प्याज लहसुन का सेवन ना करें तंबाकू या शराब का सेवन ना करें शिव लिंग पर नारियल पानी ना चढ़ाए। शिवलिंग पर सिंदूर ना चढ़ाएं केतकी के फूल चढ़ाने से बचें पूजा के लिए स्टील के बर्तनों से परहेज करें इसके स्थान पर आप पीतल तांबा या चांदी का प्रयोग करें।
काले रंग के कपड़ों से परहेज करें भगवान शिव को उसी के पत्ते ना चढ़ाएं शिवलिंग की परिक्रमा ना करें। इस तरह आप शिव रात्रि के दिन पूजा और बताई गई बातो को ध्यान में रख सकते है।
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