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How to celebrate Basant Panchami best Ways to Celebrate

Way celebrate Basant Panchami as Saraswati Puja 2022.

How to celebrate Basant Panchami best Ways to Celebrate
दोस्तो बसंत पंचमी हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है और बसंत पंचमी को श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है। यह तो 8 माह के महीने में शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है। पूरे वर्ष को 6 दिनों में बांटा जाता है जिसमें वसंत ऋतु ग्रीष्म, ऋतु वर्षा, ऋतु शरद ऋतु, हेमंत ऋतु, और शिशिर ऋतु शामिल है।
  • सभी ऋतू में से बसंत को सभी वृत्तियों का राजा माना जाता है इसी कारण इस दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है। 
इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। इस ऋतु में खेतों में फसलें लैला उठती है। और फूल खिलने लगते हैं। एवं हर जगह खुशहाली नजर आती है। तथा धरती पर सोना उठता है। तथा धरती पर फसल कहलाती है मान्यता है। कि इस दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
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मां सरस्वती को विद्या एवं बुद्धि की देवी माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती से विद्या बुद्धि कला एवं विज्ञान का वरदान मांगा जाता है। इस दिन लोगों को पीले रंग के कपड़े पहनकर पीले फूलों से देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए।
  • लोग पतंग उड़ाते और खाद्य सामग्री में मीठे पीले रंग के चावल का सेवन करते हैं। पीले रंग को बसंत का प्रतीक माना जाता है। बसंत पंचमी का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन देवी सरस्वती की पूजा करने के पीछे एक पौराणिक कथा है।
How Basant Panchami is celebrated in Uttarakhand which day of the month of ‘magha’ is vasant panchami celebrated in india? Basant Panchami Drawing
सर्वप्रथम श्री कृष्ण और वर्मा जी ने देवी सरस्वती की पूजा की थी देवी सरस्वती ने जब श्रीकृष्ण को देखा तो वह उनके रूप को देखकर मोहित हो गई और पति के रूप में पाने के लिए इच्छा करने लगी इस बात का भगवान श्री कृष्ण का पता लगने पर उन्होंने देवी सरस्वती से कहा कि वह तो राधा के प्रति समर्पित हैं। परंतु सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए भगवान श्री कृष्ण देवी सरस्वती को वरदान देते हैं। कि प्रत्येक विद्या की इच्छा रखने वाले को मार्च महीने की शुक्ल पंचमी को तुम्हारा पूजन करेंगे।
  • यह वरदान देने के बाद सर्वप्रथम ही भगवान श्रीकृष्ण ने देवी की पूजा की दोस्तों शास्त्रों एवं पुराणों कथाओं के अनुसार बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा को लेकर एक बहुत ही रोचक कथा है। जो कि कुछ इस प्रकार है।
बसंत पंचमी का ऐतिहासिक महत्व को लेकर यह मान्यता है। कि सृष्टि रचयिता भगवान ब्रह्मा ने जी वो और मनुष्यों की रचना की थी तथा वर्मा जी जब सृष्टि की रचना करके उस संसार को देखते हैं तो उन्हें चारों ओर सुनसान निर्जन ही दिखाई देता है।
Saraswati Puja basant panchami festival? How to celebrate Basant Panchami
  • वातावरण बिल्कुल शांत लगता है। जैसे किसी की वाणी ना हो यह सब करने के बाद भी धर्माजी मायूस उदास और संतुष्ट नहीं थे तब ब्रह्मा जी भगवान विष्णु जी से अनुमति लेकर अपने कमंडल से जल पृथ्वी पर छिड़कते हैं।
कमंडल से धरती पर गिरने वाले जल से पृथ्वी पर कंपन होने लगता है और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी मतलब चार भुजा वाली सुंदर स्त्री प्रकट होती है। उस देवी के एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पर मुद्रा होती है। बाकी अन्य अपनी पुस्तक और माला थी। वर्मा जी उस छतरी से वीणा बजाने का अनुरोध करते हैं। 
देवी के वीणा बजाने से संसार के सभी जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो जाती है। उस पल के बाद से देवी को सरस्वती कहा गया। 
दोस्त उस देवी ने वाणी के साथ-साथ विद्या और बुद्धि भी थी इसलिए बसंत पंचमी के दिन घर में सरस्वती की पूजा भी की जाती है। अर्थात दूसरे शब्दों में बसंत पंचमी का दूसरा नाम सरस्वती पूजा भी है। 

  • देवी शरद श्रुति को भागेश्वरी भगवती शारदा वीणावादिनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है।
भारतीय पंचांग में छह ऋतु होती है बसंत रितु को रितु का राजा कहा जाता है बसंत पंचमी फूलों के खिलने और नई फसल के आने का त्योहार है। ऋतुराज बसंत का महत्व बहुत अधिक है। 
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  • दोस्तों ठंड के बाद प्रकृति की छटा देखते ही बनती है। इस मौसम में खेतों में सरसों की फसल पीले फूलों के साथ आम के पेड़ पर आए फूल चारों तरफ हरियाली और गुलाबी ठंड मौसम को और भी खुशनुमा बना देती है।
यदि सेहत की दृष्टि से देखा जाए तो यह मौसम बहुत अच्छा होता है। इंसानों के साथ साथ पशु पक्षियों में नई चेतना का संचार होता है इस रितु को काम वाम के लिए भी अनुकूल माना जाता है। 
  • यदि हिंदू मान्यताओं के अनुसार देखा जाए तो इस दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था यही कारण है कि यह तो आप हिंदुओं के लिए बहुत खास है।
इस द्वार पर पवित्र नदियों में लोग स्नान आदि करते हैं इसके साथ ही हाथी बसंत मेला का आयोजन भी किया जाता है। बसंत पंचमी के दिन को बच्चों की शिक्षा दीक्षा के आरंभ के लिए शुभ मानते हैं। इस दिन बच्चे की जीभ पर शहद से ओम बनाना चाहिए माना जाता है कि इससे बच्चा ज्ञानवान होता है। वह शिक्षक जल्दी ग्रहण करने लगता है 6 माह पूरे कर चुके बच्चों को उनका पहला निवाला भी इसी दिन दिलाया जाता है।
  • दोस्त यह दिन अत्यंत शुभ है। बसंत पंचमी को परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली मारा जाता है। इसके साथ-साथ गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी इस दिन को शुभ माना जाता है।
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