Bail Pola krishano ka best Festival 2022.
छत्तीसगढ़ के एक महत्वपूर्ण पर्व के बारे में बैलों के श्रृंगार पूजन का पर्व है किसी भी राज्य की सार्थक पहचान उनकी संस्कृति से होती है जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य भारत देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जो पूर्णता कृषि कार्य है।
यहां के निवासी पूरे वर्ष भर के कार्य में लगे रहते हैं धान की खेती यहां की प्रमुख फसल है पर्व त्यौहार की श्रंखला में एक महत्वपूर्ण है इसे छत्तीसगढ़ में पूरा भी कहते हैं मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाने वाला त्यौहार खरीफ फसल के वितरण का कार्य पूरा हो जाने पर मनाते हैं।
- किसानों द्वारा बैलों की पूजन कर कृतज्ञता दर्शाने के लिए भी यह पर्व मनाया जाता है पोला पर्व की पूर्व रात्रि को गर्व पूजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन अन्न माता गर्भ धारण करती है अर्थात धान के पौधों में दूध भरता है इसी कारण खोला के दिन किसी को भी खेतों में जाने की अनुमति नहीं होती।
रात में जब गांव के सब लोग सो जाते हैं तब गांव का पुजारी पैदा मुखिया तथा कुछ पुरुष सहयोगियों के साथ अर्धरात्रि को गांव तथा गांव के बाहर सीमा क्षेत्र के कोने कोने में प्रतिष्ठित सभी देवी देवताओं के पास जा जाकर विशेष पूजा आराधना करते हैं।
- रात भर चलती है इनका प्रसाद उसी स्थल पर ही ग्रहण किया जाता है घर ले जाने की मनाही रहती है इस पूजन में ऐसा व्यक्ति नहीं जा सकता जिसकी पत्नी गर्भवती हो इस पूजन में जाने वाला कोई भी व्यक्ति जूते चप्पल पहनकर नहीं जाता।
फिर भी कांटे कंकड़ नहीं चूकते या शारीरिक कष्ट नहीं होता सुबह होते ही घर में जिला अनरसा सुहारी जिला केसरी कुर्मी बड़ा मूर्ख भुजिया भुजिया भुजिया 10 मई आदि छत्तीसगढ़ी पकवान बनाने में लग जाती है।
अपने गौ माता को बैलों को नहला दे धोते हैं उनके सिंहपुर में पेंट पॉलिश लगाकर कई प्रकार से सजाते हैं गले में घुंघरू घंटे लकड़ी से बने आभूषण बनाते हैं तथा पूजा कर आरती उतारते हैं।
- अपने बेटों कुमार द्वारा मिट्टी से बना कर आग में पकाए गए बैल लकड़ी के बैल के खिलौने बनाए जाते हैं इनमें तीन लकड़ी के बने बैलों से खेलकर बेटे कृषि कार्य तथा बेतिया रसोईघर की संस्कृति व परंपरा को समझते हैं।
बैल के पैरों में छक्के लगाकर सुसज्जित कर उसके द्वारा खेती के कार्य समझाने का प्रयास किया जाता है बेटियों के लिए रसोई घर में उपयोग में आने वाले छोटे-छोटे मिट्टी के बर्तन पूजा करके खेलने के लिए देती है पूजा के बाद भोजन के समय अपने करीबियों को सम्मान पूर्वक आमंत्रित करते हुए एक दूसरे के घर जाकर भोजन करते हैं।
- शाम के समय गांव की युक्तियां अपनी सहेलियों के साथ गांव के बाहर मैदान चौराहों पर जहां नंदी बैल प्यासा देव की प्रतिमा स्थापित रहती है पूरा पटकने जाते हैं इस परंपरा में सभी अपने-अपने घरों से एक-एक मिट्टी के खिलौने को एक निर्धारित स्थान पर पटक कर फोड़ते हैं जो कि नंदी बैल के प्रति आस्था प्रकट करने की परंपरा है।
कबड्डी खो-खो खेलते मनोरंजन करते हैं इस पर्व को छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड असम सिक्किम तथा पड़ोसी देश नेपाल में भी मनाया जाता है वहां इसे कुशल पाटिनी या कुछ ग्रहणी अमावस्या गोरा चतुर्दशी स्थानीय भाषा में गाली के नाम से मनाया जाता है।
कुछ कहने या खुशी अमावस्या इसलिए कहा गया है क्योंकि इस दिन वर्ष भर किए जाने वाले धार्मिक कार्यों तथा श्राद्ध आदि कार्यों के लिए एकत्रित किया जाता है।
बैल पोला के बारे में अन्य जानकारी हिंदी में।
वैसे ही गांव में बहुत से ऐसे त्योहार मनाए जाते हैं जिन्हें शहरवासी शायरी जानते हो। इनमें से एक बैल बोला आज की नई पीढ़ी को तो पता भी नहीं होगा पर किस लोहार गांव में आज भी बड़ी जोर शोर से मनाया जाता है जिसके नाम में छुपाए।
- बैल पोला गांव में खासकर किसान बड़ी धूमधाम से मनाते देखा जाए तो भारत एक कृषि प्रधान देश है। और ज्यादातर किसान खेती करने के लिए बैलों का प्रयोग करते हैं।
इसीलिए सभी किसान इस दिन पशुओं की पूजा आराधना करके उन्हें धन्यवाद कहते हैं। पोला त्यौहार महाराष्ट्र का एक अनोखा त्यौहार है जिसमें बैलों की पूजा की जाती है। महाराष्ट्र के साधन पर किसानों के घरों में आज भी आपको बेल मिलेंगे।
- खेती में किसानों की शादी उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले बैलों का त्यौहार अपनी संस्कृति और रीति-रिवाजों के लिए विख्यात महाराष्ट्र में यह त्योहार किसान काफी सालों से धूमधाम से मनाते हैं।
किसानों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है इस दिन किसान बैलों को देवतुल्य मानकर उसकी पूजा अर्चना करते है। पहले के समय कई गांवों में इस अवसर पर बेलदौर का भी आयोजन किया जाता था लेकिन समय के साथ यह परंपरा समाप्त होने लगी है।
- जिन जिन घरों में फेल होते हैं वह सुबह से ही पैरों को नए ला तू लाकर सजाते फिलहाल घर में उनकी विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। इसके बाद घरों में बने पकवान भी बैलों को खिलाए जाते हैं।
महाराष्ट्रीयन परिवारों में पोला पर्व के दिन घरों में खास तौर पर पूरी और खीर बनाई जाती है। महिलाओं को सजा कर उनका पूजन किया जाता है फिर उन्हें पूरनपोली और खीर भी खिलाई जाती है।
और इसके बाद उन्हें गांव के मुख्य मंदिर में ले जाया जाता है। भगवान के सामने नारियल फोड़कर भगवान को और पहल को पूजा जाता है। और उनके प्रति अपना प्रेम और आदर प्रकट करते हैं।
इस दिन किसान अपने खेत में हल जोतने वाले साथी का दिल से शुक्रिया कर पाता है। पोला त्यौहार हर इंसान को जानवरों का सम्मान करना सिखाता है। और उनके अंदर सभी मवेशियों के लिए सम्मान को दर्शाता है। धन्यवाद।
Read More और भी पढ़े >>
Thank you for valuable comment in this Website & Wish All Festival" pay thank you a lots of, we have lots of ideas and posts you can check it in our website thanks 🌷🌷