Type Here to Get Search Results !

Top blog 10

Trimbakeshwar Pitra Dosh Puja Indian Pooja 2023

पितृ दोष पूजा कैसे करते है। और इसे कोन कोन कर सकता है? जानिए।

Pitra Dosh Nivaran Puja Pitra Dosh Puja in Trimbakeshwar Trimbakeshwar pitra Dosh Puja Dates 2021

आज हम बात करेंगे पितृ दोष के बारे में पित्र दोष क्या है पित्र दोष क्यों होता है। और उसके निवारण का क्या उपाय है।

पितरों का पक्ष पितृपक्ष 13 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है। 13 से 28 सितंबर वर्ष के अनुशार तारिक आप कैलेंडर में देख सकते हो। पुत्रों के मित्र श्राद्ध कर्म किए जाने चाहिए धार्मिक ग्रंथों के अनुसार फरवरी का कल्याण और पितरों की आत्मा शांति के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करना चाहिए।
पूर्वक श्राद्ध करने से पितर आशीर्वाद देते हैं। मान्यता है। कि इन दिनों को हमारे बीच किसी ना किसी रूप में आते हैं। और हमें आशीर्वाद देते हैं। इन दिनों किए गए दान पुण्य का भी विशेष फल मिलता है। गाय को भोजन कराने का विशेष महत्व है। नहीं कर सकता हम आपको बताने जा रहे हैं।
पितृ पक्ष की पूजा कौन कर सकता है? पूरी जानकारी के साथ जानिए।
रात वहीं पुरुष कर सकता है जिसका यज्ञोपवित संस्कार हुआ हो पिता का श्राद्ध कर्म पुत्र के हाथों की किया जाना चाहिए पुत्र नहीं है तो पत्नी भी श्राद्ध कर सकती है। अगर पति भी नहीं है तो भाई भी श्राद्ध कर सकता है।
इनमें से किसी के ना होने पर परिवार का कोई भी सदस्य तर्पण कर सकता है। एक से अधिक पुत्र होने पर सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध कर्म करता है। पुत्री का पति और पुत्र का पुत्र भी श्राद्ध कर्म कर सकते हैं।
उत्तर के स्थान पर पौत्र और प्रपत्र भी श्राद्ध कर्म करते हैं। अगर पुत्र पौत्र या प्रपत्र नहीं है। तो विधवा स्त्री भी श्राद्ध कर्म कर सकते हैं। अगर जातक का कोई पुत्र नहीं है तो वह पत्रिका श्राद्ध कर्म कर सकता है।
कृष पुत्र और पुत्री का पुत्र ना होने पर भतीजा भी श्राद्ध करने का अधिकार रखता है गोद लिया हुआ पुत्र भी श्राद्ध कर्म करके पुण्य प्राप्त कर सकता है।
Pitru pooja Mantra Pitra Dosh Puja at Haridwar Gokarna Pitru Dosha Pooja Nashik Pitra Dosh Puja
पितृ पक्ष की पूजा के बारे में जानकारी प्राप्त करे।
वैदिक ज्योतिष की माने तो पित्र दोष का कारण होता है। कि हमारे अपने पूर्वजों के मृत्यु के उपरांत किए जाने वाले संस्कार दशा दादी उचित प्रकार से नहीं किया जाना जिसके चलते हमारे पूर्वज यानी कि हमारे पितर हमसे नाराज हो जाते हैं। और हमेशा देते हैं।
और यही पितृदोष बंद कर हमारी कुंडली में उपस्थित हो जाते हैं और हमारे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में समस्याएं उत्पन्न करते हैं। यह समस्याएं धर्म से संबंधित हो सकती है विवाह से संबंधित हो सकती है। और नए कार्यों में अड़चनें रूप में भी हो सकती है।
इसके साथ ही पितृदोष का एक वास्तविक कारण यह भी है कि पितरों के और हमारे स्वयं के द्वारा किए गए बुरे कर्मों के परिणाम की पित्र दोष का कारण बनते हैं। उसका फल हमें हमारे पूरे परिवार को भुगतना पड़ता है।
परिवार की मुखिया द्वारा दुष्कर्म और दुष्कर्म अपने जीवन में किए जाते हैं उनका फल के बाद में पारिवारिक सदस्यों को भोगना पड़ता है विशेष रूप से उनकी संतान को।
अब फल अच्छा या बुरा हो तो उस मुखिया के कर्मों पर निर्भर करता है यदि पूर्व अच्छे कार्य किए गए हैं। तो निश्चित रूप से अपने परिवार को संपन्नता और प्रसन्नता ही देंगे उसके अपने जीवन में नित्य कर्मों का ही आशा लिया है। तो अपने परिवार को अपमान और दु:ख को खुशी नहीं दे पाएंगे।
दोस्तों जीवन में सत्कर्म को करना बहुत जरूरी है। बुरे कर्मों से बचें क्योंकि बुरे कर्म करने के बाद में भी पीछा नहीं छोड़ते हैं आपके जीवन में भी अड़चन आ रही है धर्म से संबंधित आ रही है।
आप कोई नया काम शुरू करने की सोच रहे हैं। उन्होंने कर पा रहे हैं। आपके संतान विवाह के लायक हो गई विवाह के योग बन रहे हैं। तो यह सब दोष के लक्षण हो सकते हैं। बहुत ही आसान है।
अगर इस मंत्र का रोज 11:12 बजे करेंगे पितृदोष में कमी होती चली जाएगी आपके पुत्र को संतुष्ट होते हुए चले जाएंगे और जिसका परिणाम यह हुआ कि आपके जीवन में आने के बाद आए हैं। वह दूर हो जाएंगे और आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी।
Pitru Pooja Mantra
तो चलिए जानते हैं। किस मंत्र का किस तरह से उच्चारण करना है। पित्र दोष निवारण पित्र शांति के उपाय के लिए जो मंत्र बताया गया उसके लिए आपको अपने पितरों के चित्र के सामने बैठना है। और पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ हवन करना है।
आयुष मंत्र के साथ में पितृदोष निवारण शांति मंत्र के साथ में आपको एक और मंत्र का जाप करना है। वह इस प्रकार से है। ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का इस तरह से करेंगे और उसके बाद में ओम जी सर पित्र दोष निवारण आया केशम हरा हरा सुख शांति देवी फट स्वाहा।
इस मंत्र का जाप करना है। इंदौर मंत्र की यज्ञ हवन में आहुति देनी चाहिए और रोज शाम के समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए दोस्तों इस मंत्र के जाप से आपकी कुंडली में स्थित अनिष्ट कार्य भी जो है। वह सफलताएं हो जाएंगे उनका अनिष्ट का प्रभाव से आपके जीवन से हार जाएगा।
इसी प्रकार की आपको हानि नहीं पहुंचा पाएंगे यह था। पित्र दोष को दूर करने का बहुत ही सरल सा उपाय उम्मीद से जानकारी आप सभी के लिए बहुत मददगार साबित होगी।

पितृ दोष आपकी कुंडली में पित्र दोष है। या नहीं है। कैसे जाने उसको क्या है। उसके लक्षण और क्या है। उसका समाधान या उसका उपाय 

सबसे पहले बात करेंगे कि पित्र दोष होता है। या नहीं होता है। क्योंकि इसको लेकर के भी बहुत चर्चा होती है। कि पित्र दोष क्या है। और होता है। नहीं होता है। और कुंडली में जैसे उसको जाना जाएगी कैसे होता है। 
पितृदोष मेरा मानना है। कि हम लोग जैसे जीव जगत में है इसमें जितनी चीजें हमें दिखाई दे रही है। सिर्फ इतनी चीजें नहीं है। जैसे हमारे बीच में समय कैमरे बीच में वैसे देखो तो कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। हजारों की संख्या में हो रहे होंगे।
स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं दे रही चीज है। जो ज्ञात है। अज्ञात हैं जानते हैं। नहीं जानते हैं। और भावनाओं की चीजें हैं। अगर आप पुनर्जन्म में विश्वास नहीं रखेंगे तो फिर पाप पुण्य की सारी अवधारणा खत्म हो जाती है। 
पीछे की चीजों की मुक्ति को ना जाने दो फिर मोक्ष की अवधारणा खत्म हो जाती है। ऐसी बहुत सी चीज है। जो दूसरे को मानने वाले हैं।
सीधे-सीधे ज्योतिष पर आते हैं। और यह मानकर चलते हैं कि आप ज्योतिष को मानने वाले हैं क्योंकि मैं आपको शास्त्रार्थ नहीं कर रहा हूं ज्योतिष के जानने वालों के लिए और जो लोग से प्रबंध है। जो ब्लॉग  देखते हैं। जो जानना चाहते हैं। अपने जीवन की समस्याओं के बारे में समझना चाहे उसके लिए मैं चर्चा कर रहा हूं।
दोषी है वह कुंडली में पितृ दोष का प्रभाव हमारे जीवन पर जैसे हमारे अपने पूर्व कर्म है। वैसे हमारे पूर्वजों के कर्म भी हमें प्रभावित करते हैं। जैसे हम किस जाति में जन्म ले रहे हैं। किस धर्म में जन्म ले रहे हम किस हम किस क्लास में जन्म ले रहे हैं। एक-एक बच्चा एक ही टाइम पर जन्म होता है। कोई बहुत गरीब तबके में जन्म ले रहा है। कोई बहुत बड़े घर में जन्म लेना पड़ेगा लेकर बिल्कुल बर्बाद हो रहा है। छोटे घर में जन्म लेकर बहुत आगे जा रहा है।
किस माह के गर्भ से जन्म लेगा किस भूमि पर जन्म लेगा किस स्थान पर जन्म लेगा यह तमाम चीजें जो है। वह मायने रखती हैं। पित्र दोष जो है वह हमारे किसी ने किसी पितृदोष का यहां सीधे-सीधे मतलब होता है। आधा पावर से चाहे वह अपने घर परिवार से हो या कहीं दूसरी जगह से उसका प्रभाव हमारे जीवन पर आ रहा हो।
अक्सर इसका जो संबंध है वह मृत्यु से है। सीधी सीधी में अगर बात करो तो आत्माओं से है। जो संतुष्ट नहीं है आप अब उनका इंपैक्ट कैसे होता है। मैं मैं भी इस बात को भी मानता हूं कि जो आकार दिखाए जाते ईश्वर का आधार जैसे हम लोग करते हैं। और उसके तर्क हैं। उसके पीछे शास्त्रोक्त कारण है। उसी प्रकार नहीं है।
ईश्वर का आकार जैसे हम लोग करते हैं। और उसके तर्क हैं। उसके पीछे शास्त्रोक्त कारण है।
इन्फ्रेंस होता है यह मैं मानता हूं कि इनफ्लुएंशल होते हैं। किसी चीज को हटा देना पढ़ा देना आज है। इनके प्रभाव में होता है और वह चीज होती है। जैसे आप बिल्कुल समय से अपने घर से निकले आपकी गाड़ी में ठीक चल रही हो सब कुछ ठीक चल रहा है। लेकिन फिर भी आप टाइम पर किसी जगह पर पहुंच रहे हैं। नहीं पहुंच रहे हैं इसमें कहीं नहीं खड़ा होता है।
डेस्टिनी भी बने आगे चल कर के हम उसको कहते हैं। कि हमारा प्रभाव इस प्रकार का है। कि हम कहीं पहुंचे नहीं पहुंचे गाड़ी चला रहे हैं जाने किसी गाड़ी दुर्घटना हो रही उसी में कोई बच रहा है। तो तमाम चीजें होती है जो होता है।
सब एनर्जी का खेल है। कि एनर्जी कमजोर होगी और आप कमजोर होगा तो दूसरे दूसरी चीज है वह जल्दी प्रभावी होती हैं। चाहे वह रोग व्याधि हो या थर्ड पावर उत्सव का प्रभाव होता है।
पितृ दोस्त को का जो संबंध है। वह लेकिन यहां पित्र से सीधे पिता संबंध को लिया जाता है। सामान्य भाषा में और पिता के पक्ष में ज्ञानी हमारे जो हमारा योगदान पी दादा परदादा उनके फादर तू जो पिता के पक्ष में है। सामान्यता सभा में सामान्य भाषा हम उसको लेते लेकिन यहां तो उसका मतलब ननिहाल पक्ष भी हो सकता है। 
आपके पिता के भी हो सकता है। आपके और आपके अगल-बगल के रिश्तेदारों बहुत क्लोज फ्रेंड से भी हो सकता है।

पितृ दोष का  प्रभाव  कैसे जाने 

1. इसका जो प्रभाव है। वह कैसे हम जाने कि हमारे ऊपर है। अगर कुंडली बहुत से लोगों की है। जात है। अज्ञात है। जान रहे हैं। नहीं जाना तो इसके लक्षण जो है। वह अक्सर वृद्धि से संबंधित है। अगर आपका सब कुछ ठीक है। पहले चित्र दोष का प्रभाव दिख नहीं रहे कुछ हमेशा बनी रहती है।

2. कई बार होता है कि आप बहुत अच्छी पढ़ाई लिखाई कर चुके हैं बहुत अच्छा आपका नॉलेज है। लेकिन आप कहीं आपको न कहीं जॉब मिल गई है। ना आपका कहीं आप की वृद्धि हो रही है। ना आपका विवाह हो रहा है। ना आप की चीजें आगे बढ़ रही है। ना घर में कोई खुशी का माहौल है। तो भी जान लीजिए कहा कि कुंडली में है। या आपके जीवन में बाधा आ रहा है।

3. सबसे ज्यादा पित्र दोष का प्रभाव मैंने देखा संतान के ऊपर संतान प्राप्ति में बड़ी बाधा अधिकांश या 100% पित्र दोष के कारण उत्पन्न होती है। अगर पित्र दोष है। आपके घर में परिवार में जवाब कि आप उसके प्रभाव में है। तो संतान होने में जबरदस्त समस्या उत्पन्न होती है। 
जल्दी होगी नहीं की जाती है। लेकिन ऐसी संतान हो जाती है। कि आपको लगता है। कि पैदा ही क्यों हुई हमारे घर में जादे आपको परेशानी संतान से उत्पन्न होती या नहीं कहीं ना कहीं संतान के सुख में बाधा उत्पन्न हो रही है। तो आप जान के चलेगी आप आपका घर आपका परिवार है। आप स्वयं पित्र दोष के प्रभाव में हैं।
4. बहुत विकट विकट समस्याओं में पर बहुत विकट अगर पितृदोष बहुत प्रभावशाली पितृदोष होगा फिर उन्नति बहुत परेशानी वाली होती है। फिर लड़ाई झगड़े फसाद घटना दुर्घटना में जघन्य घटनाएं परिवार में घटित हो जाना आदि का बार बार होना।

आगजनी इत्यादि का बार बार होना एक आत बार होना तो संयोग कहीं भी हो सकता हैं।
उसी जगह पर हो सकता है। लेकिन अगर यूपीटेट हो रहा है। कि 6 महीने साल भर के अंदर तीन बार हो रहा है। दो बार हो गया 3 बार 4 बार 2 बार 4 बार हो गई घर में परिवार में 2 साल 4 साल में कहीं ना कहीं कोई बड़ी घटना दुर्घटना घटित हो रही है। या कोई डेथ हो रही हो रही है। उसका प्रभाव बन रहा है।
सामान्यता में देवताओं की कई लोग गई ज्योतिषियों को मैं देखता हूं लोग इस पर लिखते हैं। लेकिन मैं देखता हूं की जानकारी नहीं है। मतलब गाड़ी नहीं है। 
मतलब ना अब मैं किसी विभाग की जानकारी हमें किसी पुराण की ठीक से जानकारी है। ना किसी ग्रंथ की प्रॉपर जानकारी है। केवल राशियों को और उसके ऊपर व्याख्या हर चीज का करने का प्रयास करते हैं। तो उसका गलत इंफॉर्मेशन जाती है।
नहीं होता भी तो दोस्त का सबसे बड़ा जो कारक है। वह सूर्य या चंद्रमा पिता का कारक ग्रह सूर्य और माता का कारक चंद्रमा अगर इन दोनों में से कोई राहु या केतु के प्रभाव में आ रहा है।
उसके साथ बैठा है। उसके नक्षत्र में बैठा है। तो मान के चलिए की कुंडली में कुंडली कहीं निकलते तो दो से प्रभावित हो रही है। यह ज्यादा खतरनाक होगा दर्शाए गए स्थिति को यदि यह अष्टम भाव में बन रहा है।
अष्टम या पंचम में बन रहा पंचम में सूर्य राहु सूर्य चंद्रमा या अष्टम में सूर्य राहु सूर्य चंद्रमा चंद्रमा राहु या चंद्र अमावस्या के दिन बजे सूर्य चंद्रमा अरे बिगड़ गया और बुरा प्रभाव होगा अगर शनि का भी प्रभाव हो जाए तो अगर यह लग्न पर बन रहा है पंचम में बन रहा है। और आप के अष्टम भाव में बन रहा है। तो इसका ही फेक बहुत पावरफुल होता है। बहुत ज्यादा प्रभावशाली होता है। 

क्योंकि पंच में बैठे बैठेगा तो संतान बुद्धि दोनों को प्रभावित कर देगा अष्टम में बैठेगा तो आपके हेल्थ के लिए आपको घटना दुर्घटना फ्रॉम बना देगा और लग्न में बैठेगा तब भी आपके स्वास्थ्य और घटना दुर्घटना प्रॉन्प्लस आपके वैवाहिक जीवन यानी पर्सनल लाइफ एकदम से आपकी इसका मतलब ठीक से आप खाना खा पाएंगे आप जीवन व्यतीत कर पाएंगे।
इतना ज्यादा प्रभावी जाने से जीवन को अच्छा इसका प्रभाव धीरे-धीरे पीढ़ी दर पीढ़ी पड़ता है कई बार मैंने सुना है कि लोग कहते हैं। कि मेरे मेरे में तो है। मेरे प्रॉब्लम है लेकिन मेरे भाई को नहीं मेरे भाई बड़ा अच्छे से चल रहा है।
कई लोगों का हो रहा आपका पूर्व जन्म का कर्म है। तो कैसा कहीं न कहीं लोग उस परिवार खानदान में आ रहे हैं। दूसरा यह कि हमारा अपना और कितना मजबूत है मेरी प्लेनेटरी पोजिशन मेरी एनर्जी लेवल कितना है।
उससे भी प्रभावित होता उसमें घर में बजा दे आप लोगों का को सबसे पहले पकड़ में आता है। फिर धीरे-धीरे धीरे-धीरे क्या लेकिन हां यह मान कर चलिए ठीक नहीं है वह ईश्वर करें कि हमेशा ठीक है। लेकिन वह दूसरी तीसरी पीढ़ी आते-आते कहीं न कहीं फिर उसके चपेट में आ ही जाते हैं।
या कहीं ना कहीं आपकी पीढ़ियों पर प्रभाव डालता है। आपके जीवन का करके जो सुख है उसमें प्रभाव डालता है।
काफी एक तरह से दीमक की तरह धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे चीजों को राज करता था। कई कर भेज 50 साल 60 साल पहले 100 साल पहले उनका चलाने वाला भी नहीं है।
इस प्रकार की स्थितियां उत्पन्न कई बार होती है। अब अगर उसमें माता-पिता से क्षेत्र से केवल है तो जो इस तरह की जो प्रभाव है। जहां पर की बिल्कुल थर्ड पावर का इफेक्ट नजर आता है। वहां पर कोई रत्न काम नहीं करता। 
वह अगर कोई आपका टोटका राय नहीं रहा तांत्रिक प्रक्रिया कुछ काम करते हैं। लेकिन तांत्रिक प्रक्रियाओं में बलपूर्वक रोकने का प्रयास होता है। बलपूर्वक जब हम रोकते हैं किसी चीज को दोनों कभी भी यह तो कई बार रिएक्शन होने का खतरा ज्यादा होता है। दूसरा कई बार उसके साइड इफेक्ट होता है तो जो हमारे शास्त्रों की विधियां हैं उसमें बल्कि आरोपों को हटाने का प्रयास किया जाता है।

हमारे शास्त्रों की विधियां हैं। उसमें बल्कि अब क्योंकि उसमें बलपूर्वक नहीं रोका जाता उसे प्रार्थना करके चीजों को हटाने का प्रयास किया जाता है। मुक्ति का प्रयास किया जाता है तो अगर कोई अच्छा होने का सबसे बड़ा कारण है। वह हमारे कहीं न कहीं हमारे पूर्वजों से हमारे माता-पिता से हमारे दादा से दादा से हमारे नाना सेनानी से कहीं न कहीं कोई बड़ा अपराध है। उसकी जड़ में होता है।
अधिकांश हंड्रेड परसेंट पितृदोष का जो 100% पितृदोष का कारण घर पर या तो कोई जघन्य अपराध या पहले अकाल कोई अन्य तुरंत और उसमें प्रॉपर तरीके से क्रिया कर्म शब्द का प्रयोग नहीं करते।

Read More और भी पढ़े >>

Post a Comment

1 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
  1. If Google AdSense rejects your website because of low quality content, you should recheck all the posts you have published or consider changing the content you are writing.
    List of Google AdSense Tutorials
     
    For more about Google AdSense approval and Low Value Content, you can visit my website or watch my YouTube videos.
    YouTube Playlist - Google AdSense Steps by Steps for approval
    Low Value Content Fix

    ReplyDelete

Thank you for valuable comment in this Website & Wish All Festival&quot pay thank you a lots of, we have lots of ideas and posts you can check it in our website thanks 🌷🌷

Top Post P

Top Post P2

Ads Area