What is Paryushan festival and how to celebrate famous Festival.
मित्रों आज हम बात करने वाले हैं। पर्युषण महापर्व के बारे में पर्युषण महापर्व क्या है। कैसे मनाते हैं। इसका क्या महत्व है।
पर्युषण महापर्व जनों का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। जो दिगंबर और सितंबर दिन सभी लोग मनाते हैं। वही श्वेतांबर जनों में 8 दिनों का होता है। तो दिगंबर जैन में यह 10 दिनों का त्यौहार मनाया जाता है।
श्वेतांबर जैन में यह भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। तो दिगंबर पक्ष में यह शुक्ल पक्ष में यह मनाया जाता है। वैसे साल में तीन बार आता है। लेकिन जो पात्र पद के महीने में जो पर्यूषण पर्व आता है। उसका महत्व और बढ़ जाता है।
वह इसलिए क्योंकि भाद्रपद के महीने में चातुर्मास का समय होता है। महाराज जी माता जी का और व्रतियों का साधुओं का समागम बड़े आसानी से मिल जाता है। शादियों का सीजन भी नहीं होता है। बिजनेस कभी सीजन नहीं होता है। और बहुत सारी अनुकूलता मिल जाती है। जिससे प्रदूषण पर बहुत ही यादगार और शानदार करके मनाया जाता है।
वैसे इस को दशलक्षण पर्व भी कहा जाता है। वह इसलिए कहा जाता है। क्योंकि इसमें धर्म के जो प्रश्न जो अन्य हैं। उन अंगों के बारे में चर्चा की जाती है।
सबसे पहले उत्तम क्षमा शमा अहिंसा और मैत्री का पर्व है।
संवत्सरी यह पर्व जैन धर्म के लोगों द्वारा 3 सितंबर को पूरे देश में मनाया जा रहा है।
छठ पर्व पर जैन धर्म के लोग जाने अनजाने में कई गलतियों के लिए एक दूसरे से क्षमा मांगते हैं। इस पर्व को जैन धर्म के प्रमुख राजा माना जाता है। यह पर्व भगवान महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म जियो और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है।
मोक्ष प्राप्ति के द्वार भी खुलता है इस दिन लोग उपवास रखते हैं। और स्वयं के पापों की आलोचना करते हुए भविष्य उनसे बचने का संकल्प लेते हैं।
सदन 8400000 योनियों में विचरण कर रहे समस्त जीवो से क्षमा मांगी जाती है और कहा जाता है। कि उनकी किसी से कोई शत्रुता नहीं है। इस दिन जैन समाज के लोग विश्व शांति के लिए व्रत रखते हैं।
इसे अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व पर जियो और जीने दो किस सिद्धांत पर चलते हुए संसार के सभी मनुष्य पशु पक्षियों के कल्याण के लिए प्रार्थना की जाती है। और सभी के जीवन में सुख शांति बनी रहे ऐसी मंगल कामना की जाती है।
जैन धर्म की परंपरा के अनुसार पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन क्षमावाणी दिवस पर सभी एक दूसरे से मिच्छामि दुक्कड़म कहकर क्षमा मांगते हैं। साथ ही यह भी कहा जाता है। कि मैंने मन वचन काया से जाने अनजाने अगर आपका दिल दुखाया हो तो मैं उसके लिए हाथ जोड़कर आपसे क्षमा मांगता हूं।
मैं दुखड़ा प्राकृत भाषा का शब्द है। इसी भाषा में काफी जैन ग्रंथों की रचना हुई है। ऐसे पर्यूषण पर्व पर आत्म शुद्धि के साथ बनो मालिनी दूर करने का भी अवसर प्राप्त होता है। पर्यूषण पर्व यानी कि संवत्सरी पर्व आत्म चिंतन और सन्मार्ग पर चलने का पर्व है।
दूसरा है। उत्तम मार्दव, तीसरा है। उत्तम आर्जव, चौथा है उत्तम शौच, पांचवा है। उत्तम सत्य, छठवां है। उत्तम संयम, सातवां है। उत्तम तप, आठवां उत्तम त्याग,नवा हो तमा कंचन और दसवां उत्तम ब्रह्मचर्य,
पैसे उत्तम ब्रह्मचर्य का दिन अंतिम अंतिम दिन होता है। इसको संवत्सरी और वर्ष का प्रारंभिक दिल की माना जाता है इस दिन अनंत चतुर्दशी व्रत है। उसका भी आचरण करते हैं लोग उपवास करते हैं। और इसका भी बहुत बड़ा महत्व है।
संयुक्त बनाना है। और उत्तम क्षमा के दिन क्षमा वाणी के दिन संवत्सरी के दिन सभी को क्षमा कर देना है। और सब से क्षमा मांगना है यह बहुत अच्छा पर्व है जिसमें में एक दूसरे से क्षमा चाहते हैं। सबको क्षमा कर देते हैं। और इस तरीके से आम में पर्युषण पर्व को शानदार यादगार और बेहतरीन बना सकते हैं।
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